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Jabalpur News: शंकरशाह-रघुनाथ शाह की याद में अत्याधुनिक म्यूजियम बनकर तैयार, 14 करोड़ आई लागत

A museum is ready in Jabalpur in memory of Shankar Shah Raghunath Shah at a cost of Rs 14 crore

जबलपुर में शंकरशाह रघुनाथ शाह की याद में 14 करोड़ रुपये की लागत से म्यूजियम बनकर तैयार

Jabalpur News: देश की आजादी के इतिहास का हर पन्ना जनजाति के वीरों की कथाओं से भरा हुआ है. ये कथाएं आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बनी हुई हैं. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे जननायकों को फिर याद किया है. ऐसे ही अंग्रेजों से लोहा लेने वाले जनजाति के जननायक राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के जीवन पर आधारित अत्याधुनिक संग्रहालय का निर्माण कराया गया है.

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शहीद

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में गोंड राज्य के राजा निजाम शाह के वंशज राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ ने अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार भर दी. अंग्रेजों ने राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह को 14 सितंबर 1957 को गिरफ्तार कर लिया. ठीक चार दिन बाद 18 सितंबर 1857 को अंग्रेजों ने इन वीरों को तोप के मुंह में बांधकर मृत्युदंड दे दिया. इस बलिदान ने पूरे गोंडवाना साम्राज्य में स्वतंत्रता की ऐसी अलख जगाई की फिर सैंकड़ों जनजाति युवा स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.

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म्यूजियम की लागत 14 करोड़ रुपये आई

इस संग्रहालय की लागत 14 करोड़ रुपये आई. लागत के अलावा इस संग्रहालय की बात करें तो इसे आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है. म्यूजियम की पहली गैलरी में गोंडवाना साम्राज्य की शिल्पकारी, गोंड आर्ट और जननायकों के संघर्ष को दर्शाया गया है. संग्रहालय की दूसरी गैलरी में उन जनजाति जननायकों की कहानियां और उनके बलिदान के बारे में बताया गया है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया है

तीसरी गैलरी में उस दरबार को दर्शाया गया है जहां कभी राजा शंकर शाह बैठा करते थे. सबसे खास बात यह है कि दरबार हॉल में 3D फिल्म के जरिए राजा शंकर शाह की जीवन शैली को दर्शाया गया है. चौथी गैलरी में बलिदान के बाद की कहानी को बताया गया है कि कैसे इस बलिदान के बाद 52 रेजीमेंट के भारतीय सैनिकों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

पांचवी गैलरी में 3D फिल्म के जरिए राजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके अंतिम शब्दों को बताया गया है. इतना ही नहीं इस संग्रहालय में बने जेल के अंदर राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा भी लगाई गई है. इसके साथ ही स्वर्ग सीढ़ी भी बनाई गईं है. आज आदिवासी इस स्थल को पवित्र और धार्मिक मानते हैं और यहां श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं.

 

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