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MP News: आखिर क्यों पैदा हो रहा है जीतू और उमंग के बीच विवाद, भाजपा ने किया खुलासा, सलूजा बोले- अज्ञातवास से लौटेंगे सिंघार, पटवारी होंगे गायब

congress leader jitu patwari

कांग्रेस नेता जीतू पटवारी और उमंग सिंघार (फाइल फोटो)

Bhopal: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जिम्मेदारी संभालने के बाद जीतू पटवारी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ पार्टी की टूट से पटवारी चिंतित है. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के भीतर चल रहे अंदरूनी कलह से भी समस्या पैदा हो गई है. पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है कि जीतू पटवारी और उमंग सिंगार के बीच आपसी समन्वय नहीं है. यहां तक कि जीतू पटवारी ने कहा कि उमंग सिंगार बीमार है और उन्होंने वैक्सीन ले ली है. इसलिए कुछ दिन तक आराम करेंगे.

जीतू की सफाई देना और बैठे बिठाये बीजेपी को भी एक मुद्दा मिल गया. जिसका लंबे समय से बीजेपी इंतजार कर रही थी. कमलनाथ के कभी करीबी रहे और अब बीजेपी के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस पार्टी के अंदर नाराजगी का जिक्र किया. सलूजा ने लिखा कि जीतू पटवारी के सामने ही शोभा ओझा, सत्यनारायण पटेल के बाद विपिन वानखेड़े भी कार्यक्रम शुरू होने से पहले निकल गए. इसके बाद ग्वालियर मुरैना और खंडवा लोकसभा प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी होने के बाद सलूजा बैठे-बैठे एक और ट्वीट करते हैं. सलूजा नहीं लिखा कि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार की नाराजगी रंग लाई. जीतू पटवारी को कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने तगड़ा झटका दिया. कार्य शैली व लगातार कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने से पहले ही नाराज था. मुरैना में पटवारी के खास समर्थक पंकज उपाध्याय को और ग्वालियर में उनके दिए नाम को टिकट नहीं दिया गया, जबकि उमंग सिंगार ने सत्यपाल सिंह और प्रवीण पाठक को टिकट दिलाया.

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कांग्रेस के विवाद का खुलासा करने के साथ ही सलूजा बने ज्योतिषी

फिर सलूजा भविष्यवाणी करते हैं कि नाराजगी के कारण अज्ञातवास पर गए. उमंग सिंगार वापस लौटेंगे, पटवारी जल्द ही चुनाव मैदान से गायब होंगे. हालांकि सलूजा का ट्वीट और उनकी भविष्यवाणी कितनी सही होगी. यह आने वाले कुछ ही दिनों में राजनीतिक घटनाक्रम से स्पष्ट हो जाएगा लेकिन एक बड़ी बात है कि आखिर कांग्रेस के नेताओं के बीच समन्वय क्यों नहीं बन पा रहा है. जबकि मध्य प्रदेश में चुनौती यह है कि 29 की 29 सीटों पर भाजपा ने जीत का लक्ष्य रखा है. वहीं कांग्रेस के सामने चुनौती है कि पहले छिंदवाड़ा को बचा लिया जाए और उसके बाद कुछ सीटों पर जीत भी दर्ज कराई जाए.

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