Jabalpur News: मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में एक विवाद खत्म हो नहीं पता कि दूसरा विवाद सामने आ जाता है. मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी अब प्रदेश भर के संबद्ध कॉलेजों से जीएसटी वसूल रही है. क्योंकि मेडिकल यूनिवर्सिटी को 22 करोड रुपए की चपत लग चुकी है. दरअसल साल 2017 में जब देशभर में जीएसटी लागू हो गया था तब विश्वविद्यालय प्रबंधन को यह पता ही नहीं था कि कॉलेज से ली जाने वाले संबद्धता शुल्क को 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ लेना है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि विश्वविद्यालय को 5 सालों तक इस बात की खबर ही नहीं थी 2022 में जब जीएसटी विभाग से नोटिस पहुंचा तब विश्वविद्यालय की आंखें खुली. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी जीएसटी ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को 22 करोड रुपए की जीएसटी जमा करने का नोटिस थमा दिया. ऐसा नहीं करने पर 100% पेनल्टी लगाने की चेतावनी भी दी मजबूरन विश्वविद्यालय ने 22 करोड रुपए की जीएसटी जमा कर दी. अब विश्वविद्यालय 2017 से 2022 तक पांच सालों में यूनिवर्सिटी से एफीलिएशन लेने वाले कॉलेजों ने जीएसटी की राशि वसूल करने का नोटिस जारी किया है.
150 पैरामेडिकल कॉलेज के लिए बनी मुसीबत
मध्य प्रदेश में तकरीबन 450 कॉलेज हैं जो मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबंंधता रखते हैं लेकिन सबसे बड़ी मुसीबत प्रदेश के 150 पैरामेडिकल कॉलेज के लिए बन गई है. क्योंकि हाल ही में इनकी परीक्षाएं आयोजित होनी है अब मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नोटिस जारी कर पैरामेडिकल कॉलेज को आदेश दिया है कि अगर उन्होंने 24 जून के पहले जीएसटी की राशि जमा नहीं की तो उनके छात्रों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा.
मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्कूल प्रबंधन के चलते अब कॉलेज की मुश्किल में बढ़ गई है. इसलिए एसोसिएशन ऑफ पैरामेडिकल नर्सिंग एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूटस ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना की तैयारी कर ली है. संगठन का कहना है कि मेडिकल प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा कॉलेज क्यों भागते हैं. क्योंकि पिछले 5 सालों में कई कॉलेज की आर्थिक स्थिति भी तक मांगा चुकी है ऐसे में लाखों रुपए की जीएसटी एक साथ भरना मुमकिन नहीं है.
विश्वविद्यालय प्रबंधन पर उठ रहे सवाल
मेडिकल यूनिवर्सिटी की यह बड़ी लापरवाही है कि जब देश में जीएसटी का हल्ला था हर संस्था पर जीएसटी लागू हो रही थी तो फिर विश्वविद्यालय प्रबंधन के जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया। अब 22 करोड रुपए तो विश्वविद्यालय के खाते से चले गए हैं सवाल यह है कि क्या कॉलेज उसे वापस करेंगे और सबसे बड़ी बात अगर नहीं करते हैं तो फिर इसका खामियाजा छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा।