जबलपुर: भारतीय संस्कृति में पदयात्रा का अपना एक अलग आध्यात्मिक महत्व है लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने समाज सुधार के लिए पदयात्रा को ही अपना जीवन बना लिया है. शिप्रा पाठक उन्हें में से एक हैं वाटर वूमेन के नाम से जाने जाने वाली शिप्रा पाठक ने हाल ही में अयोध्या से रामेश्वरम तक पदयात्रा पूरी कर ली है. तकरीबन 4000 किलोमीटर पदयात्रा करने वाली शिप्रा पाठक संस्कारधानी जबलपुर पर पहुंची. जहां उन्होंने मां नर्मदा का पूजन अर्चन कर पदयात्रा होने का संकल्प पूरा किया.
मां नर्मदा का संरक्षण और जल के महत्व के जनता तक पहुंचना लक्ष्य
शिप्रा पाठक ने विस्तार न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि उनका जीवन का मकसद केवल मां नर्मदा का संरक्षण और जल के महत्व को जनता तक पहुंचना है और इसलिए उन्होंने अपने जीवन में पदयात्रा को ही लक्ष्य बना लिया है. शिप्रा पाठक इसके पहले भी 7 पदयात्राएं कर चुकी हैं जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा, नर्मदा नदी, शिप्रा नदी सरयू नदी की परिक्रमा शामिल है, सबसे लंबी परिक्रमा उन्होंने हाल ही में अयोध्या से रामेश्वरम तक पूरी की है. इस पदयात्रा के दौरान शिप्रा ने रामवन पथ गमन पर यात्रा की है शिप्रा ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने राम जानकी औषधि केंद्र बनाने की इच्छा जताई है ताकि राम वन पद गमन पर लोगों को प्रकृति से जोड़ने का भी काम हो सके.
ये भी पढ़े: MRP से अधिक दाम पर बिक रही शराब से नाराज हुआ शराबी, पेड़ पर चढ़ा, घंटों काटा बवाल
30 साल की उम्र पूरी की मां नर्मदा की परिक्रमा
उत्तर प्रदेश की बदायूं जिले के रहने वाली शिप्रा एक संपन्न परिवार से जुड़ी हुई है मैनेजमेंट कंपनी में काम करने वाली शिप्रा में जब सिंहस्थ कुंभ में जब मां नर्मदा के दर्शन किए तो उनके मन में मां नर्मदा के प्रति आस्था जाग गई और फिर उन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा शुरू की. महज 30 साल की उम्र में ही शिप्रा ने मां नर्मदा की परिक्रमा अकेले ही पूरी की थी और उसके बाद से ही उसे सुर्खियों में आई. शिप्रा बताती है कि उनके जीवन में अब केवल समाज सेवा ही एकमात्र लक्ष्य है जीवन की यात्रा में जल संरक्षण को लेकर उन्होंने अभियान शुरू किया है जिसे जन-जन तक पहुंचाना ही उनका मकसद बन चुका है.