भोपाल: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election2024) का बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियों के नेता चुनाव मैदान मे उतरने की पूरी तैयारी कर चुकें है. चुनावों मे खर्च भी करोड़ो में होता है और ज्यादातर नेता पार्टी फंड के भरोसे रहते है. तो वहीं कुछ नेता ऐसे जो खुद से खर्च करते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में नेताओं की निष्ठा ऐसी है कि पार्टी के फंड से ही चुनाव लड़ना है, कई दिग्गज ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले लोकसभा के चुनाव में खुद के जेब से हजार या फिर चंद लाख रुपए ही खर्च किए हैं, एमपी में भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं की लंबी फेहरिश्त है, जिनकी संपत्ति करोड़ों और अरबों रुपए में है. फिर भी पार्टी के ही फंड से उन्होंने चुनाव लड़ा है. अगर पार्टी ने फंड नहीं दिया और स्टार प्रचारकों से सभा नहीं कराई, तो सबसे कम खर्च किया है.
दऱअसल टीकमगढ़ से साल 2019 में प्रत्याशी रही किरण अहिरवार ने 40 लाख रुपए ही खर्च किए. अहिरवार को पार्टी की ओर से भी कम फंड जारी किया गया. सबसे कम खर्च अहिरवार ने ही चुनाव में किया. खास बात है कि अधिकांश प्रत्याशियों का चुनावी खर्च स्टार प्रचारकों के वीवीआईपी दौरे में खर्च होता है, वहीं वाहनों के काफिले में 10 से 25 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं, यानी कि स्टार प्रचारक और वाहनों के काफिलों के बीच भी प्रत्याशियों का चुनावी प्रचार होता है.
आइये जानते है एमपी में भाजपा और कांग्रेस के उन नेताओं के बारे में जिन्होंने पार्टी फंड के भरोसे ही चुनाव लड़ा है.
इन नेताओं ने पार्टी फंड के भरोसे ही लड़ा लोकसभा का चुनाव
ज्योतिरादित्य सिंधिया
नकुलनाथ
विवेक तंखा
प्रहलाद पटेल
राम निवास रावत
देवाशीष
अशोक सिंह
प्रभु सिंह ठाकुर
राज बहादुर सिंह
प्रताप सिंह
राकेश सिंह
ढाल सिंह बिसेन
रामकांत भार्गव
शैलेंद्र पटेल
हकीकत में करोड़ों में होते हैं खर्च : दिनेश गुप्ता (वरिष्ठ पत्रकार)
नेताओं के चुनावी खर्च के हलफनामे पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता का कहना है कि पार्टी का फंड फिक्स होता है. नेता चुनाव लड़ने में सीमा से कई गुना तक खर्च करते हैं. नेता सबसे ज्यादा पार्टी फंड के खर्च को ही दर्शाते हैं लेकिन वास्तविकता में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं.
वहीं इस मामले कांग्रेस नेता केके मिश्रा का कहना है सिंधिया की जेब से पैसे ही नहीं निकलते, केके मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि उनके कुर्ते में जेब नहीं है, फिर खर्च कैसे करेंगे. जबकि भाजपा नेताओं का इस मामले पर कहना है कि कांग्रेस चाइना से फंड लेती है और नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए दिया जाता है. कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए.