MP News: रीवा लोकसभा सीट पर होगा रोचक मुकाबला, बीजेपी से दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा और कांग्रेस की नीलम मिश्रा आमने-सामने

Lok Sabha Election2024: बीजेपी ने आमचुनाव 2024 के लिए फिर से जनार्दन मिश्रा पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने नीलम मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है.
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रीवा लोकसभा सीट में इस बार मुकाबला बीजेपी से दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा और कांग्रेस से महिला उम्मीदवार नीलम मिश्रा के बीच है.

Bhopal: रीवा लोकसभा सीट यूपी की सीमा से लगी मध्यप्रदेश की एक ऐसी लोकसभा सीट है जहां से पांच अलग-अलग दलों के नेता और निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की. इस लोकसभा सीट से बीजेपी, कांग्रेस, जनता दल, जनता पार्टी, बीएसपी और निर्दलीय उम्मीदवार जीत चुके हैं. इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था. जिसमें कांग्रेस के राजभान सिंह तिवारी सांसद बने थे.

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को रीवा लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. इस सीट में दो जिलों यानी रीवा और मऊगंज की आठ विधानसभा सीट शामिल हैं. इन विधानसभा में सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मनगवां, रीवा और गुढ़ आती हैं. इन आठ विधानसभा में से एक केवल एक सीट सेमरिया कांग्रेस के पास है बाकी सारी सीट बीजेपी के पास है.

इस सीट से वर्तमान में बीजेपी के जनार्दन मिश्रा सांसद हैं. बीजेपी ने आमचुनाव 2024 के लिए फिर से जनार्दन मिश्रा पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने नीलम मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में

जनार्दन मिश्रा – वर्तमान में रीवा से सांसद

संपत्ति – 2.5 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य(0)

जनार्दन मिश्रा को बीजेपी ने आमचुनाव 2024 के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. ये तीसरी बार है जब जनार्दन मिश्रा बीजेपी के टिकट से लड़ने जा रहे हैं. पेशे से वकील जनार्दन मिश्रा बीजेपी में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. संगठन की राजनीति के साथ-साथ चुनाव लड़ा भी और जीता भी. बीजेपी जिला अध्यक्ष रहे, रीवा से दो बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र की अलग-अलग समितियों में सदस्य रह चुके हैं.

जनार्दन मिश्रा पहली बार 2014 में सांसद बने थे. इस चुनाव में जनार्दन मिश्रा का मुकाबला कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी से हुआ. सुंदरलाल तिवारी विंध्य का शेर कहे जाने वाले श्रीनिवास तिवारी के बेटे थे. सुंदरलाल तिवारी का साल 2019 में निधन हो गया. इस चुनाव में जनार्दन मिश्रा को 3 लाख, 83 हजार, 320 वोट मिले और कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को 2 लाख, 14 हजार, 594 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर एक लाख, 68 हजार, 726 रहा.

साल 2019 में बीजेपी ने जनार्दन मिश्रा को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया. इस बार मिश्रा का मुकाबला श्रीनिवास तिवारी के पोते और सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी से हुआ. इस चुनाव में जनार्दन मिश्रा को 5 लाख, 83 हजार, 745 वोट मिले और कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी को दो लाख, 70 हजार, 938 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 3 लाख, 12 हजार, 807 रहा. इस चुनाव में फिर से जीत जनार्दन मिश्रा की हुई.

मिश्रा को एमपी के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला का करीबी माना जाता है. 2024 के आम चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के सामने नीलम मिश्रा हैं.

नीलम मिश्रा – कांग्रेस से उम्मीदवार

संपत्ति – 25 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)

तीन दशक बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी ने रीवा सीट से किसी महिला को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने नीलम अभय मिश्रा को रीवा लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. नीलम मिश्रा, सेमरिया विधानसभा सीट से विधायक अभय मिश्रा की पत्नी हैं. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट से नीलम मिश्रा ने चुनाव जीता था. पति-पत्नी दोनों एक ही सीट से विधायक रहे हैं.

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पति-पत्नी में से किसी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन इस सीट पर कांग्रेस ने पहले उम्मीदवार खड़ा कर दिया था. इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार त्रियुगी नारायण शुक्ल को बीजेपी के केपी त्रिपाठी के हाथों हार झेलनी पड़ी.

एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने सेमरिया सीट से अभय मिश्रा को उम्मीदवार बनाया. इस बार पति-पत्नी में से एक को टिकट मिल गया. कांग्रेस के अभय मिश्रा ने बीजेपी के केपी त्रिपाठी को हरा दिया. सेमरिया सीट पर 2018 को छोड़ दें तो 2008 से ये सीट मिश्रा परिवार के पास हैं. इसी राजनीतिक प्रभाव के कारण इस बार नीलम मिश्रा को टिकट मिला है.

जनार्दन मिश्रा बनाम नीलम मिश्रा

दोनों उम्मीदवार सवर्ण वर्ग से आते हैं. दोनों के पास चुनाव लड़ने का अनुभव हैं. बीजेपी के जनार्दन मिश्रा का रीवा लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीतना प्लस प्वॉइंट हो सकता है. वहीं कांग्रेस की नीलम मिश्रा महिला उम्मीदवार हैं और सेमरिया सीट से विधायक रह चुकी हैं. नीलम मिश्रा ब्राह्मण चेहरा होने के साथ-साथ जाना-पहचाना चेहरा भी हैं.

रीवा सीट से सबसे ज्यादा ब्राह्मण चेहरे

अब तक इस लोकसभा सीट से कुल सात ब्राह्मण चेहरे जीतकर आए हैं. ये सात सांसद 45 साल तक सांसद रहे. इनमें कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल और जनता पार्टी के सांसद हैं. पार्टी ने ब्राह्मण वोट को भांपकर टिकट दिया उम्मीदवार जीतकर आए. बीजेपी की टिकट से जीते सभी उम्मीदवार ब्राह्मण हैं. बीजेपी के चंद्रमणि त्रिपाठी और जनार्दन मिश्रा सांसद रह चुके हैं. वहीं कांग्रेस से चार सांसद यानी राजभान तिवारी, शिवदत्त उपाध्याय, शंभूनाथ शुक्ल और सुंदर लाल तिवारी हैं. यमुना प्रसाद शास्त्री दो बार सांसद बने. एक बार जनता पार्टी से और दूसरी बार जनता दल से.

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रीवा लोकसभा सीट का इतिहास

इस सीट से सबसे ज्यादा तीन बार मार्तंड सिंह ने चुनाव जीता. मार्तंड सिंह ने साल 1971 में निर्दलीय चुनाव जीता. दूसरी बार 1980 में फिर निर्दलीय और 1984 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीता. मार्तंड सिंह रीवा के महाराजा रहे हैं. दो बार सांसद रहने वाले सांसदों की संख्या चार है. इनमें एक सांसद कांग्रेस से हैं शिवदत्त उपाध्याय. उपाध्याय साल 1957 और 1962 में दो बार सांसद बने.

बीजेपी के दो सांसद चंद्रमणि त्रिपाठी और जनार्दन मिश्रा दो-दो बार सांसद रहे. वहीं जनता पार्टी और जनता दल से चुनाव लड़ने वाले यमुना प्रसाद शास्त्री दो बार अलग-अलग पार्टी से सांसद रहे. रीवा सीट से पहले निर्दलीय सांसद मार्तंड सिंह थे. वहीं पहले गैर कांग्रेसी सांसद यमुना प्रसाद शास्त्री ने साल 1977 में जनता पार्टी के टिकट से चुनाव जीता.

पहली बार बीजेपी से सांसद साल 1998 में चंद्रमणि त्रिपाठी बने. जो केवल एक साल ही सांसद रह सके. साल 1999 के चुनाव में कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी ने जीत हासिल की. इसके बाद कांग्रेस को आज तक इस सीट पर सफलता हासिल नहीं हुई.

रीवा सीट से पहली बार ओबीसी वर्ग से भीम सिंह पटेल ने बीएसपी के टिकट से साल 1991 में चुनाव जीता. बीएसपी के टिकट से अबतक कुल तीन सांसद बन चुके हैं. साल 1991 में भीम सेन पटेल, 1996 में बुद्धसेन पटेल और 2009 में देवराज सिंह पटेल. तीनों सांसद ओबीसी वर्ग से रहे हैं.

(source – myneta.info, digital sansad, eci)

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