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MP News: जहर की पुड़िया लेकर उपमुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री से मिलने पहुंचा दंपति, अधिकारियों ने पीड़ित को कमरे में बंद किया

Due to lack of administrative hearing here, a couple from Garoth reached the Collectorate office with a packet of poison.

गरोठ की एक दंपति यहां प्रशासनिक सुनवाई न होने के कारण जहर की पुड़िया लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गई.

MP News: मंदसौर में एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां घरेलू जमीन के एक मामले में अपने ही परिजनों से पीड़ित दंपति की प्रशासनिक सुनवाई न होने से वे, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और जिले की प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया से मिलने जिला योजना समिति की बैठक में की पुड़िया लेकर लेकर जा पहुंचे. लेकिन राजस्व अमले ने उन्हें आज फिर दोनों मंत्रियों से मिलवाने के बजाए एक कमरे में बंद कर दिया. इस मामले में मीडिया की दखल के बाद एडीएम ने आनन-फानन में अधिकारियों की एक टीम गठित कर मामले की जांच और कार्रवाई शुरू की.

यह है मामला

चुनाव के बाद मंदसौर में जिला योजना समिति की पहली बैठक लेने के लिए उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया आज जब मंदसौर पहुंचे तो यहां जनसुनवाई में शिकायते लेकर पहुंचे कई पीड़ित लोगों का हुजूम मंत्रियों से मिलने के लिए उमड़ पड़ा. इसी दौरान गरोठ की एक दंपति यहां प्रशासनिक सुनवाई न होने के कारण जहर की पुड़िया लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गई. प्रभारी मंत्री और उपमुख्यमंत्री जिला योजना समिति की बैठक ले रहे थे. तब तक इस दंपति की कोई सुनवाई नहीं हुई.

जमीन से जुड़ा हुआ है विवाद

दरअसल, गरोठ के राधेश्याम और रामकन्या बाई अपने परिवार की आवास की भूमि के बंटवारे को लेकर काफी परेशान है. वे पिछले 4 महीने से न्याय ले लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. राधेश्याम के पिता को सरकारी पट्टे की जमीन पर आवास बनाने के लिए प्लाट आवंटित हुआ. लेकिन उसके पिता ने उस जमीन पर पहले ही उसके भाई और स्वयं के नाम 3 लाख का कर्ज ले लिया. इस मामले में जब दंपति ने गांव की पंचायत के जरिये चौपाल पर न्याय मांगा तो पीड़ित के पिता और भाई ने कर्ज के बंटवारे की राशि की मांग की. हालांकि राधेश्याम और रामकन्या ने बंटवारे की रकम अदा कर दी. लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें अपनी जमीन नहीं मिली.

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पुलिस के पहुंचे पास पीड़ित, नहीं हुई सुनवाई

मामले की खास बात यह है कि इस जमीन पर पिता और सगे भाई ने दूसरा चार लाख रुपए का कर्ज़ ले लिया और वह जमीन अब बंधक हो गई. लिहाजा नामंतरण नहीं हो पा रहा. इस मामले में राधेश्याम और रामकन्या तहसील कार्यालय और पुलिस के पास पहुंचे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद दोनों मंदसौर पहुंचे, हालांकि यहां कलेक्टर आदिती गर्ग ने उनकी सुनवाई कर उन्हें हाथों-हाथ एक आवेदन पत्र निराकरण के लिए, तहसीलदार प्रियंका मिमरोत के नाम जारी किया. लेकिन पिछले 4 महीने से ना तहसीलदार और ना ही एसडीएम उनकी सुनवाई कर रहे है. इस बात की शिकायत लेकर दंपति आज फिर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया से मिलने मंदसौर पहुंचे. लेकिन राजस्व के अमले ने यहां भी उन्हें नहीं मिलने दिया. उल्टे उनको समझा बूझाकर एक कमरे में बंद कर दिया.

जांच के लिए टीम गठित

इस मामले की भनक जब मीडिया को लगी तो एडीएम एकता जायसवाल ने तत्काल मौके पर पहुंचकर सुनवाई की और उन्होंने एक अमले को गठित कर उनकी कार्रवाई शुरू कर दी. हालांकि इस मामले में राम कन्या और राधेश्याम की सुनवाई के लिए अब तीन अधिकारियों का एक दल गठित हो गया है और निराकरण किया जा रहा है.

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