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MP News: इंदौर में मां-बेटी की अनोखी जोड़ी; दोनों ने साथ में योगा सीखा, स्पर्धा में हिस्सा लिया और मेडल भी जीता

mother and daughter won medal

मां और बेटी ने योगा स्पर्धा में मेडल जीता

MP News: मां अपनी बेटी के लिए प्रेरणादाई होती है, मां जब बेटी का हौंसला बढ़ाती है तो बेटी आसमानों की ऊंचाइयों को भी छू लेती है. लेकिन इंदौर में एक बेटी अपनी मां के लिए प्रेरणा बनी. उसने मां को इस कदर प्रेरित किया कि मां ने आसमान छू लिया. बेटी को सिखाने के लिए मां ने खेल सीखा, जिसमें बेटी ने अपनी स्पर्धा में और मां ने अपनी स्पर्धा में सोना जीत लिया. बड़ी बात यह है कि गोल्ड मेडलिस्ट मां इंदौर पुलिस की हेड कांस्टेबल भी हैं.

इंदौर क्राइम ब्रांच में पदस्थ हेड कांस्टेबल बबली खाकरे बचपन में एथलीट हुआ करती थीं. स्पोर्ट्स कोटा के आधार पर 20 साल की उम्र में उन्होंने पुलिस विभाग ज्वॉइन कर लिया. उसके बाद शादी और बच्चों के बाद वह स्पोर्ट्स से दूर होती चली गईं. लेकिन जब बेटी 12 साल की हुई तो उसे स्पोर्ट्स में भेजने की प्लानिंग हुई. बेटी को योगा ज्वॉइन करवाया दिया.

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मां और बेटी दोनों ने जीते मेडल

बेटी को योगा सिखाने के लिए बबली ने भी योगा सीख लिया. इसके बाद जब बेटी को प्रतिस्पर्धा में भेजने की बात हुई तो बेटी ने भी मां से कह दिया कि आप भी प्रतिस्पर्धा में जाओ. जब बबली ने मना कर दिया तो बेटी ने भी खेलने से इनकार कर दिया. जब बेटी नहीं मानी तो हारकर बबली ने भी हामी भरी और वह इस साल ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में शामिल होने नागपुर गईं. वहां से पहली बार में ही 2 सिल्वर मेडल जीतकर आईं. इसके बाद मां बेटी खेलो इंडिया गेम्स में वेस्ट जोन की प्रतियोगिता में शामिल होने जोधपुर गई, वहां बेटी ने 1 और मां ने 2 सिल्वर मेडल जीते.

इसके बाद बबली छत्तीसगढ़ के भिलाई में आयोजित हुई ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में योगा के 2 इवेंट में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता. अपनी इस जीत के लिए बबली अपने परिवार विशेष तौर पर बेटी और पति को सबसे बड़ा सपोर्टर मानती हैं. वहीं विभाग की ओर से भी बबली को पूरी मदद मिलती है।

बबली की उम्र 37 वर्ष है, लेकिन वह इस कदर फिट है कि किसी भी प्रतिस्पर्धा में जाने के लिए 2 महीने तक 8 घंटे तक प्रैक्टिस करती हैं. इसके अलावा 8 घंटे की पुलिस ड्यूटी में भी पूरी तत्परता से करती है. लेकिन जब भी बबली प्रैक्टिस में होती हैं तो गेमिंग इंजीनियर पति बच्चों और परिवार का पूरा ख्याल रखते हैं. इसमें उन्हें थोड़ी समस्या जरूर होती है, लेकिन जब पत्नी मेडल जीतकर लाती हैं तो वही समस्या बहा खुशी में बदल जाती है.

पुलिस विभाग बबली की पूरी मदद करेगा- डीसीपी

गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर आने के बाद बबली का पुलिस विभाग द्वारा भी स्वागत सत्कार किया गया. मेडल जीतकर इंदौर पहुंचीं बबली क्राइम ब्रांच डीसीपी राजेश कुमार त्रिपाठी से मिलने पहुंचीं. यहां उन्होंने बबली और टीम का मुंह मीठा करवाकर उन्हें शुभकामनाएं दी. साथ ही भरोसा दिलाया कि वह जब कभी भी खेलने जाना चाहती है, विभाग की ओर से उन्हें पूरी मदद मिलेगी.

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