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MP News: डीजे की तेज आवाज से हो रहा हार्ट अटैक, HC में याचिका दायर; कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा जवाब

jabalpur high court

जबलपुर हाई कोर्ट

MP News: डीजे की तेज आवाज अब लोगों के लिए जानलेवा साबित होने लगी है. मध्य प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है जिसमें डीजे की वजह से लोगों की जान चली गई है. इस गंभीर मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट में ध्वनि प्रदूषण पर जनहित याचिका

जबलपुर के सीनियर सिटीजन वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा रिटायर्ड, आईएएफ अधिकारी आरपी श्रीवास्तव समेत अन्य सीनियर सिटीजन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में डीजे की तेज आवाज पर रोक लगाने की मांग की गई है. हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण के कारण लगातार बीमारियां बढ़ रही हैं सबसे ज्यादा परेशानी डीजे की तेज आवाज की वजह से हो रही है. हालात यह हो गए हैं कि डीजे की तेज आवाज के चलते हार्ट अटैक के खतरे लगातार बढ़ते जा रहे हैं. शादी-विवाह, धार्मिक आयोजनों और रैलियों में जिस तरह से तेज आवाज में डीजे बजाए जाते हैं उसे ब्लड प्रेशर के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सीनियर सिटीजन के लिए तो डीजे की तेज आवाज जानलेवा साबित हो रही है.

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स्वस्थ व्यक्ति के लिए 75 डेसीबल की आवाज सही

याचिका में कहा गया है कि मानव शरीर 75 डेसीबल आवाज की तीव्रता सहन कर सकता है. इससे अधिक आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आती है. डीजे की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है. डीजे की तेज आवाज पर नियंत्रण करने के लिए नियम जरूर बनाए गए हैं लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है. तेज आवाज के चलते लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है और बहरेपन की शिकायतें भी लगातार सामने आ रही है.

याचिका में बताया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी ध्वनि प्रदूषण को गंभीर समस्या माना है. इसके बावजूद भी जिम्मेदार डीजे की तेज आवाज पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं. हाईकोर्ट ने याचिका में उठाए गए तर्कों को सुनने के बाद केंद्र सरकार, राज्य सरकार और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद निर्धारित की गई है.

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