Jabalpur Forest News: अगर पर्यावरण को बचाना है तो उसके प्रति जुनूनी होना पड़ेगा. संस्कारधानी जबलपुर के ऐसे बुजुर्ग के जुनून की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही पर्यावरण को समर्पित कर दिया। 40 सालों से जबलपुर के बुजुर्ग ने बोनसाई के पौधों का जंगल खड़ा कर लिया है.
जबलपुर में बिजली विभाग से रिटायर्ड हुए सोहनलाल ने अपना पूरा जीवन ही पर्यावरण को समर्पित कर दिया है 40 सालों से सोहनलाल अपने घर में बोनसाई के पौधों की पैदावार कर रहे हैं और आज उनके घर में 40 से ज्यादा प्रजाति के बोनसाई पौधे ढाई हजार से ज्यादा संख्या में मौजूद है और दावा है कि यह देश का सबसे बड़ा बोनसाई कलेक्शन है.
1982 में अख़बार में बोनसाई के बारे में पढ़ा था
सोहन लाल ने बताया की उन्होंने पहली बार साल 1982 में एक अख़बार में बोनसाई के बारे में पढ़ा था. कि मुंबई की किसी महिला ने अपनी छत पर 250 बोनसाई लगाए हुए हैं. इस खबर को पढ़ने के बाद, बोनसाई के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ गई. इसलिए दिल्ली में बोनसाई क्लब में जाकर इसके बारे में जानकारी ली. सोहनलाल ने अपना पूरा जीवन ही नहीं बल्कि अपनी कमाई भी पर्यावरण को समर्पित कर दी है. सोहन लाल के कलेक्शन में मौसमी, नारंगी, संतरा, बरगद, पीपल, बेर, कैक्टस, नींबू, जैड, समेत कई सजावटी पौधों के भी बोनसाई तैयार किए. आज उनकी छत और प्लॉट पर 40 तरह के 2500 बोनसाई हैं। ये सभी बोनसाई उन्होंने खुद ही तैयार किये हैं। इसके अलावा, कुछ बोनसाई वह समय-समय पर लोगों को उपहार में भी देते हैं.
बोनसाई आकार में छोटे लेकिन काम बड़े पेड़ जैसा करते हैं
सोहनलाल बताते हैं की बोनसाई केवल दिखने में भर छोटे हैं लेकिन काम एक बड़े पेड़ की तरह ही करते हैं जिन घरों में जगह नहीं है वहां पर बोनसाई पौधा का लगाया जाए तो एक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने का काम करता है जो कि आज के समय में बेहद जरूरी है.
सोहनलाल का दावा है कि उनके पास देश में सबसे बड़ा बोनसाई पेड़ों का कलेक्शन है और इसलिए वह जल्द ही लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में से दर्ज करने के लिए भी तैयारी कर रहे हैं सोहनलाल पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का भी काम करते हैं उनका मानना है कि अगर प्रकृति को बचाना है तो हर एक शख्स को अपना योगदान जरूर देना होगा.