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MP News: बिजली कंपनियों का अजब-गजब मैनेजमेंट, 24 हजार करोड़ सरकार से सब्सिडी मिली, फिर भी तीन से 4 हजार करोड़ का घाटा

The power companies of the mp supplied electricity to other states.

प्रतीकात्मक चित्र

MP News: मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों का सालाना खर्च करीब 55 हजार करोड़ रुपए है. इसमें 24 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हर साल बिजली कंपनियां सरकार से ले लेती हैं. इसके बाद हर साल 2 से 3 हजार करोड़ रुपए के घाटे में रहती हैं. इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियां टैरिफ में इजाफा करती हैं. प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियां सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के भरोसे पर चल रही हैं. अगर सरकार बिजली कंपनियों सब्सिडी की राशि न दे, तो कंपनियां अपना खर्चा भी नहीं निकाल पाएंगी. इसके साथ ही बिजली की कीमत से जनता भी परेशान हो जाएगी.

बिजली कंपनियों के कुल खर्च की करीब 46 फीसदी राशि सरकार से मिल रही है. अगर सरकार से सब्सिडी न मिले तो बिजली कंपनियां हर साल 24 से 25 हजार करोड़ के घाटे में रहेंगी. सरकार से इतनी राशि मिलने के बाद भी प्रदेश के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिल रही है. बिजली के टैरिफ में हर साल इजाफा हो रहा है. अब बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट के नाम पर भी हर महीने 4 से 5 फीसदी का इजाफा टैरिफ में कर रही हैं. इससे भी इनका मुनाफा बढ़ गया है.

बिजली कंपनियों की इन गलतियों से बढ़ रहा घाटा

बिजली कंपनियों के कार्यक्षेत्र में 4 लाख 64 हजार घरेलू बिजली उपभोक्ता बिना मीटर वाले हैं. ये बिजली उपभोक्ता कितनी 27.39 % बिजली जला रहे हैं, 22.91 % 12.60% इसका कोई रिकार्ड बिजली कंपनियों के पास नहीं है. इससे भी बिजली कंपनियों को सालाना 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो रहा है.

सभी ट्रांसफॉर्मर और फीडर पर नहीं लगे मीटर

बिजली कंपनियां कृषि उपभोक्ताओं को सरकार से मिलने वाली सब्सिडी के तहत सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराती हैं. इसके अलावा एससी, एसटी के कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त में बिजली दी जाती है. ज्यादातर कृषि उपभोक्ताओं को बिना मीटर के अस्थाई कनेक्शन के जरिए बिजली दी जाती है. इस बिजली की गणना फीडर और ट्रांसफॉर्मर पर लगे मीटर से होती है.

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कृषि फीडर और ट्रांसफार्मर पर अब तक नहीं लगे मीटर

खास बात यह है कि ज्यादातर कृषि फीडर और ट्रांसफॉर्मर पर मीटर ही नहीं लगे हैं. इससे रोक पाने से बन रहे ऐसे हालात लाइन लॉस से हर साल करोड़ों का घाटा तीनों बिजली कंपनियों का लाइन लॉस कम नहीं हो रहा है. इस समय मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 22.91 प्रतिशत है. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे ज्यादा 27.39 फीसदी है. वहीं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 12.60 फीसदी है. यानी इतनी बिजली की हर साल चोरी हो रही है. अगर इस चोरी को बिजली कंपनियों रोक लें, तो सरकार से सब्सिडी लिए बिना भी बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली दे सकती हैं. मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने साल 2023-24 से 2026-27 तक की गाइड लाइन बिजली कंपनियों के लिए जारी की है। आयोग का मानना है कि अगर बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम कर लें, तो बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नही पड़ेगी. बिजली की सही गणना नहीं होती है। इससे भी बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ जाता है.

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