MP News: मध्य प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने शोकाज नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सरकार से 10 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. 14 मई को हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया गया है. पीएफआई के सदस्यों की ओर से वकील ने जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट स्पेशल लीव एप्लीकेशन याचिका दर्ज कराई थी. कोर्ट ने कहा था कि एटीएस ने यूएपीए का चार्ज फ्रेम किया है लेकिन वह ट्रायल के दौरान प्रूफ नहीं हो रहा है. 5 हजार पेज की चार्जशीट में इस्लामिक गतिविधियों के साथ देश विरोधी गतिविधियों शामिल होने के आरोप के तहत गिरफ्तारी की गई है. इस मामले में पीएफआई के वकील ने हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसके बाद पीएफआई के वकील मुजिबुर्र रहमान ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी, कोर्ट ने वकील के तर्क के आधार पर एमपी सरकार से जवाब मांगा है. यूएपीए एक्ट के तहत साक्ष्य एटीएस की ओर से पेश नहीं किए गए है. इस एक्ट के तहत एटीएस को साक्ष्य पेश करने के लिए भी समय मिल गया है. दरअसल, मार्च 2023 में मध्य प्रदेश के अलग- अलग शहरों से पीएफआई के 19 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने पीएफआई सहित 5 संगठनों को बैन कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में यह भी दिए जमानत के लिए तर्क
धारा 167 के तहत 90 दिनों के अंदर चालान पेश नहीं करने पर आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत का लाभ मिलने का कानूनी प्रावधान है. सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत तथा तकनीकी माध्यम से सुनवाई के दौरान पेश करने पर आरोपी को इसका लाभ मिलने का कोई प्रावधान नहीं है. आरोपियों को सुविधा अनुसार सुनवाई के दौरान पेश किया गया है, इसके अलावा सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता ट्रायल कोर्ट में मौजूद रहते थे. डिफॉल्ट जमानत के लिए उन्होंने ट्रायल कोर्ट में कोई आवेदन पेश नहीं किया.
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एनआईए कोर्ट में तय हुए हैं आरोप
विशेष अदालत में प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया के मध्य प्रदेश से पकड़े गए 22 सदस्यों पर आरोप तय हो चुके हैं. अभियोजन पक्ष के वकीलों की तरफ से कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया था. जांच टीम को फिटनेस सेंटर के नाम पर आतंकी ट्रेनिंग, जिहादी मानसिकता, देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के के कई सबूत पेश किए थे. भोपाल की विशेष एनआईए कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया है.