MP News: एक तरफ देश में टीबी मुक्त भारत का अभियान चल रहा है तो दूसरी तरफ टीबी मरीजों को दवाइयां के लिए भटकना पड़ रहा है. यह हालात हैं जबलपुर जिले के जहां टीवी मरीजों को ना तो समय पर दवाइयां मिल पा रही है और ना ही उनका डोज पूरा हो पा रहा है. सरकार राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम चला तो रही है लेकिन मरीजों को दवाएं नहीं मिलने से इस योजना पलीता लग रहा है. जिला अस्पताल में दवा का टोटा बना हुआ है.
दवाएं मिलने में आ रही है समस्या
दरअसल टीबी के मरीजों को नियमित रूप से दवा की खुराक लेनी होती है. इसमें यदि एक दिन भी दवा नहीं ली जाती है तो उस दवा के डोज का समय बढ़ जाता है. दवा का डोज तय है इसमें छह माह या 18 माह निश्चित है, जो नियमित रूप से लेनी ही पड़ती है. मरीजों को देने वाली दवाएं केन्द्रीय औषधालय से आती हैं. ये दवाएं समय पर नहीं आ पा रही हैं, जिससे यह समस्या बनी हुई है. विक्टोरिया के टीबी क्लीनिक में मरीज और उनके परिजनों का कहना था कि उन्हें छह माह से दवाएं मिलने में समस्या आ रही है. पहले तो प्रथम डोज ही मिलना मुश्किल हो रहा था. मौजूदा हालात में द्वितीय डोज की समस्या बनी हुई है. क्लीनिक में जैसे-तैसे उन्हें दस, पन्द्रह दिन की दवा मिल पा रही है. इसमें कई बार नियमित रूप से लेने वाली इन दवाओं को डोज छूट जाता है.
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जबलपुर में कुल 4200 पंजीकृत टीवी मरीज
जबलपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि देश में टीवी मुक्त भारत अभियान चल रहा है जिसकी वजह से दवाइयों का कुछ डोज भी बदल गया है. दवाई बनाने वाली कंपनी सीमित है इसलिए दवाइयां की सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पा रही है. वहीं पिछले कुछ सालों की अपेक्षा मरीजों की संख्या भी बड़ी है. जबलपुर में कुल 4200 टीवी मरीज पंजीकृत हैं जिन्हें नियमित रूप से दवाई मिलनी चाहिए. लेकिन इसे पूरा करने के लिए हम मरीजों को कम दिन की दवाई दे रहे हैं हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही समस्या को खत्म कर लिया जाएगा.