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MP News: जबलपुर में देश के पहले नर्मदा कॉरिडोर की तैयारी शुरू, 300 करोड़ की लागत से होगा घाटों का विकास

Preparations begin for the country's first Narmada Corridor

देश के पहले नर्मदा कॉरिडोर की तैयारी शुरू.

MP News: जबलपुर में मध्य प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर बनकर तैयार हो गया है और अब देश का पहला नर्मदा कॉरिडोर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. संस्कारधानी जबलपुर में मां नर्मदा के घाटों को सरयू की तर्ज पर भव्य स्वरूप देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने नर्मदा घाटों के विकास की घोषणा की थी. जिसके पहले चरण पर 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा. जिसकी पूरी लंबाई पौने दो किलोमीटर होगी. जिसमें छह प्रमुख घाट खारीघाट, दरोगाघाट, गौरीघाट, उमाघाट, सिद्धघाट और जिलहरीघाट को आपस में जोड़ा जाएगा.

नया स्वरूप बनने पर बेहतर सुविधाएं होंगी

मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि मां नर्मदा के पावन तट गौरीघाट पर श्रद्धालुओं की भीड़, अव्यवस्थित मार्ग और स्वच्छता संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए घाटों का सुव्यवस्थित विकास अनिवार्य हो गया है. नए स्वरूप में घाटों पर स्नान, पूजा, ध्यान और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए बेहतर सुविधाएं होंगी. खारीघाट पर जलकुंड, चेंजिंग रूम, मुंडन स्थल और छोटा नाव घाट बनाया जाएगा. दरोगाघाट पर भव्य “नाव घाट” और मां नर्मदा की गाथा को दर्शाते म्युरेल्स होंगे. संध्या आरती के लिए पांच भव्य मंच बनाए जाएंगे, जहां श्रद्धालु दिव्य वातावरण में आरती का आनंद ले सकेंगे.

चैनल को 2 हिस्सों में बनाया जाएगा

मां नर्मदा की मुख्य धारा को प्रदूषण-मुक्त रखने के लिए लगभग 800 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा चैनल बनाया जाएगा. इस चैनल के दो हिस्से होंगे एक में पुष्प अर्पण और दीपदान होगा ताकि पूजन सामग्री सीधे नदी में न जाए, और दूसरे भाग में श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था रहेगी. घाटों के आसपास चेंजिंग रूम, तीर्थ पुरोहितों के लिए बैठक स्थल, निर्माल्य विसर्जन कुंड, वॉच टॉवर और पूजन सामग्री की सुव्यवस्थित दुकानें बनेंगी.

5 पार्किंग स्थल विकसित किए जाएंगे

घाट क्षेत्र में यातायात और पार्किंग की समस्या के समाधान के लिए पांच पार्किंग स्थल विकसित किए जाएंगे, जहां लगभग 900 दोपहिया और 700 चारपहिया वाहन खड़े किए जा सकेंगे. ग्वारीघाट तक पैदल मार्ग बनाया जाएगा और वृद्ध एवं दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए ई-कार्ट सेवा चलाई जाएगी. घाटों की सुरक्षा हेतु संयुक्त कंट्रोल रूम और आधुनिक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी.

पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए घाटों पर सौर ऊर्जा चालित एलईडी लाइटें, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम और एंटी-स्किड पत्थरों का उपयोग किया जाएगा. पत्थरों की सफाई के लिए वॉटर जेट लगाए जाएंगे और तेज बहाव में सुरक्षा हेतु विशेष फास्टनर लगाए जाएंगे. गौरीघाट मुक्तिधाम को भी आधुनिक और व्यवस्थित मोक्षधाम का स्वरूप दिया जाएगा. यह परियोजना मां नर्मदा की पावन धारा की गरिमा को बनाए रखते हुए श्रद्धालुओं को आस्था, संस्कृति और स्वच्छता से जुड़ा एक नया अनुभव प्रदान करेगी. राकेश सिंह ने कहा कि यह केवल विकास नहीं, बल्कि मां नर्मदा की सेवा और हमारी सांस्कृतिक विरासत के पुनर्जीवन का एक पवित्र प्रयास है.

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