Rajya Sabha Election 2024: विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी मध्य प्रदेश में शिवराज 5.0 सरकार नहीं देखने को मिली, बल्कि एक नए चेहरे मोहन यादव को बीजेपी ने आगे कर दिया. जिसके बाद माना जा रहा था कि शिवराज सिंह चौहान केंद्र में जाएंगे. लेकिन वो दिल्ली जाते ही उससे पहले नरोत्तम मिश्रा दिल्ली जाकर वहां की राजनीति में बैठ सकते हैं. पार्टी पूर्व सीएम से पहले मिश्रा को दिल्ली आने का न्योता दे सकती है. जिसको लेकर पार्टी में बातचीत का दौर भी शुरू हो गया है.
नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश सरकार के उन मंत्रियों में से थे, जो पिछली विधानसभा चुनाव में खुद की सीट भी नहीं बचा पाए थे. मगर अब उनके पास बिना लोकसभा चुनाव लड़े केंद्र तक पहुंचने का मौका है. दरअसल, अप्रैल में 56 राज्यसभा सीट खाली हो रही हैं. जिनमें से 5 एमपी की सीट हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने विकल्प है कि वो नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव के पहले ही राज्यसभा चुनाव लड़ा दें. 15 फरवरी तक इसके नामांकन भरे जाने हैं. साथ ही 27 फरवरी को इसके परिणाम भी आ जाएंगे. हालांकि अगर शिवराज लोकसभा चुनाव लड़ते भी हैं, तो मई के बाद ही वो केंद्र तक पहुंच पाएंगे. इस हिसाब से उनकी ही सरकार के हारे हुए मंत्री नरोत्तम उनसे पहले दिल्ली पहुंच जाएंगे.
नरोत्तम क्यों जा सकते हैं दिल्ली
नरोत्तम मिश्रा हमेशा से ही मध्य प्रदेश के बाहर की राजनीति में सुर्खियां बटोरते नजर आते हैं. खासतौर पर बॉलीवुड फिल्म के खिलाफ उनकी बयानबाजी अक्सर उनकी देशभर में लोकप्रियता का कारण बन जाती है. हालांकि मध्यप्रदेश में कानून, गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहे चुके मिश्रा का कद हमेशा से शिवराज के बाद था. लेकिन इस बार वो दतिया से 7 हजार 156 वोटों से चुनाव हार गए. बावजूद उसके उन्होंने जनता को कहा था कि मैं लौटकर आऊंगा, ये वादा रहा…उनके इस बयान के हिसाब से पार्टी राज्यसभा में मौका दे सकती है.
पार्टी में उनकी अहमियत हारने के बाद कम नहीं हुई है, इस बात का सबूत यह है कि उनको लोकसभा चुनाव के लिए ग्वालियर चंबल का क्लस्टर प्रभावी मिश्रा को ही बनाया गया है. ऐसे में अगर पार्टी उनको पहले राज्यसभा सांसद के लिए चुन लेती हैं तो लोकसभा में ग्वालियर-चंबल में पार्टी की स्थिति एक बार फिर मजबूत हो जाएगी.
मध्य प्रदेश का राज्यसभा गणित समझे
नरोत्तम के सफर-ए-दिल्ली के साथ एमपी के राज्यसभा सीटों के गणित को भी समझें. दरअसल, प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं. जिनमें से फरवरी में 5 सीटों के लिए चुनाव होना है. मौजूदा स्थिति में 11 में से 8 सीट बीजेपी के पास है. लेकिन इस बार हुई बंपर विधासभा जीत के कारण मध्य प्रदेश में बीजेपी के विधायकों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में बीजेपी का 5 में से 4 सीट जीतना तय है.
2023 चुनावों के बाद विधानसभा की स्थिति
बीजेपी के कुल विधायक – 163
कांग्रेस के कुल विधायक – 66
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इस समीकरण के हिसाब से हर एक सीट को जीतने के लिए 38 विधायकों की जरूरत होगी. चूंकि बीजेपी के पास 163 विधायक हैं. ऐसे में पांच में से चार सीट बीजेपी को मिलना तय है. वहीं कांग्रेस को एक सीट से ही काम चलाना पड़ सकता है.
इन सांसदों का कार्यकाल होगा खत्म
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान – बीजेपी राज्यसभा सांसद
अजय प्रताप सिंह- बीजेपी राज्यसभा सांसद
कैलाश सोनी – बीजेपी राज्यसभा सांसद
एल मुरुगन – बीजेपी राज्यसभा सांसद
राजमणि पटेल – कांग्रेस राज्यसभा सांसद
इन नामों में से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, एल मुरुगन को पार्टी फिर से मौका दे सकती है. जबकि नए चेहरे के रूप में नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली भेजने की तैयारी भी कर सकती है.