Jabalpur News: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) भ्रष्टाचार का किला बन चुका है. एक ऐसा किला जिसे भेद पाना अब किसी के बस की बात नही है. ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर जबलपुर में स्मार्ट सिटी ने करोड़ों रुपए खर्च कर इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया था. जो अब पूरी तरह से फेल हो चुका है.
28 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था ITMS
दरअसल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जबलपुर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के मकसद को लेकर इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम यानी ITMS शुरू किया गया था. करीब 28 करोड रुपये की लागत से ITMS सिस्टम को तैयार किया गया. इस प्रोजेक्ट के तहत जबलपुर शहर के चौक-चौराहों पर हाईटेक सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी रखी जा रही थी. लेकिन अभी सिस्टम पूरी तरीके से ठप हो चुका है. सीसीटीवी कैमरे बंद हैं. ट्रैफिक सिग्नल भी भगवान भरोसे चल रहे हैं.
12 प्रमुख चौराहे पर ITMS व्यवस्था लागू की गई थी
ITMS के तहत जबलपुर शहर के 12 प्रमुख चौराहों पर हाई क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. 9 एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर कैमरा के जरिए निगरानी रखी जा रही थी. 7 चौराहों के ट्रैफिक सिग्नल को कंट्रोल किया जा रहा था. इस पूरे सिस्टम को चलाने के लिए कंट्रोल रूम तैयार किया गया था. जहां पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन के जरिए चौक-चौराहों पर निगरानी रखी जा रही थी. इस सिस्टम के जरिए यातायात नियमों का पालन न करने वालों को ई-चालान भेजा जाता था. सुरक्षा व्यवस्था पर निगरानी रखी जाती थी लेकिन यह सब काम अब बंद हो चुकी है.
ITMS पर हर साल 2 करोड़ रुपये खर्च
ITMS को चलाने के लिए स्मार्ट सिटी ने एक निजी कंपनी को ठेका दे दिया. संचालन के लिए कर्मचारियों के वेतन, इंटरनेट कनेक्शन तमाम तरह के मेंटेनेंस को मिलाकर करीब 2 करोड रुपये सालाना का खर्चा होता है. जिस कंपनी को स्मार्ट सिटी ने काम दिया था. उसने 3 साल तो काम किया लेकिन फिर खर्च ना निकल पाने की वजह से कंपनी ने काम बंद कर दिया. इसके बाद स्मार्ट सिटी के कर्मचारियों ने 2 साल तक काम किया लेकिन आर्थिक हालात नहीं सुधरे और पूरे सिस्टम को बंद कर दिया गया.
दरअसल आइटम्स सिस्टम के माध्यम से जो ई-चालान बनते हैं, उसकी करीब 75% राशि स्मार्ट सिटी को मिली थी. अब तक इस सिस्टम के जरिए करीब 7 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि वसूली गई है जो सीधे सरकार के खाते में गई. लेकिन स्मार्ट सिटी को 1 रुपये भी नहीं मिला. जिसकी वजह से इस सिस्टम को बंद करना पड़ा.
मामले में कार्रवाई होनी चाहिए- विपक्ष
इस मामले को लेकर विपक्ष ने नगर निगम को घेरना शुरू कर दिया है. नगर निगम नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा का कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर पैसों की होली खेली है. ऐसे प्रोजेक्ट को शुरू किया गया जो जनता के किसी काम नहीं आया. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.