MP News: देश में आज राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खेल दिवस केवल खिलवाड़ दिवस बनकर रह गया है, क्योंकि सरकारी स्कूलों में खिलाड़ी प्रतिभाओं को निखारने के लिए खेल शिक्षक ही नहीं है, हालात यह बन गए हैं कि खेलो इंडिया जैसे बड़े अभियान को भी मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल पलीता लगा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की केवल शिक्षण व्यवस्था के ही हालात खराब नहीं है बल्कि उससे कहीं ज्यादा खेल गतिविधियों के खराब बने हुए हैं क्योंकि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए खेल शिक्षक ही मौजूद नहीं है. खेल शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूलों में एक बड़ी समस्या बनती जा रही है प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के अभाव में खेल प्रतिभाएं प्राथमिक स्तर पर ही दम तोड़ देती हैं. प्रदेश के सरकारी स्कूलों के आंकड़े जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
4% भी खेल शिक्षक सरकारी स्कूलों में नहीं है
जबलपुर जिले में 196 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल हैं, जिनमें महज 34 खेल शिक्षक मौजूद हैं. जबलपुर जिले में ही महज 4% भी खेल शिक्षक सरकारी स्कूलों में नहीं है. इसमें भी केवल 11 शिक्षक ही खेल से जुड़े हुए हैं, बाकी शिक्षक अतिथि के तौर पर या फिर दूसरे शिक्षकों से खेल गतिविधियां कराई जा रही है.
इससे कहीं ज्यादा बत्तर हालात जबलपुर संभाग के बाकी जिलों के हैं. आंकड़ों पर का नजर डालें तो जबलपुर संभाग में 1060 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में स्पोर्ट्स टीचर के कुल पद 364 हैं. जिनमें केवल 122 ही कार्य कर रहे हैं. इनमें से भी उन स्कूलों में खेल शिक्षक हैं जो शहर में मौजूद हैं, ग्रामीण स्तर के हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में तो शिक्षक हैं ही नहीं. सरकारी स्कूलों में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें निखारने के लिए खेल शिक्षकों के न होने से छात्रों में भारी निराशा देखने को मिल रही है.
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2009 के बाद से नहीं हुई खेल शिक्षक की भर्ती
मध्यप्रदेश में आखिरी बार साल 16 साल पहले 2009 में सरकारी हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में खेल शिक्षकों की भर्ती की गई थी. इसके बाद से अब तक भर्ती निकाली ही नहीं गई. जिसके चलते सरकारी स्कूलों में खेल शिक्षकों की कमी लगातार आती जा रही है. पहले खेल शिक्षक की सीधी भर्ती होती थी, लेकिन अब यह भर्ती कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होती है. स्कूलों में नए शिक्षकों की भर्ती हुई लेकिन खेल शिक्षकों की भर्ती पर विभाग और सरकारी महकमा उदासीन बना हुआ है.
इस संबंध में जब जबलपुर शिक्षा अधिकारी से जब बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि खेल शिक्षकों के ना होने से खेल प्रतिभाएं नहीं निखर पा रही हैं, लेकिन फिर भी इस कमी को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. स्कूलों में अन्य विषयों के शिक्षकों को खेल शिक्षक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
