MP News: मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है. इसके तहत जिले के एसपी और रेंज के डीआईजी को हर महीने कम से कम चार गंभीर अपराधों का सुपरविजन करना अनिवार्य किया गया है. इस नई SOP में स्पष्ट किया गया है कि एसपी और डीआईजी को घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण करना होगा और चालान प्रस्तुत होने तक मामले की मॉनिटरिंग करनी होगी. इसके साथ ही उन्हें दोषमुक्ति (acquittal) के मामलों की भी समीक्षा करनी होगी. खास बात यह है कि दोनों अफसरों के लिए अलग-अलग प्रकरण होंगे.
पीड़ित को न्याय दिलाना न्याय व्यवस्था का कर्तव्य
निर्दोष लोगों के खिलाफ गलत कारणों से अभियोजन होने की संभावना पर भी SOP में चिंता जताई गई है. इसमें कहा गया है कि जैसे पीड़ित को न्याय दिलाना न्याय व्यवस्था का कर्तव्य है, वैसे ही किसी निर्दोष व्यक्ति को आपराधिक अभियोजन की कठोरता का सामना न करना पड़े, यह भी पुलिस और न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी है. वहीं नई SOP में जिन गंभीर अपराधों की निगरानी पर जोर दिया गया है, उनमें आतंकी घटनाएं, संगठित अपराध, हत्या के प्रयास वाले बलवे, सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसे मामले शामिल हैं.
यह SOP सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश बनाम सुनीत सिंह उर्फ सुमित सिंह मामले में 25 जून 2025 को दिए गए आदेश के आधार पर जारी की गई है. इसे डीजीपी कैलाश मकवाना की स्वीकृति के बाद पुलिस मुख्यालय की सीआईडी शाखा के स्पेशल ब्रांच द्वारा स्पेशल डीजी पवन श्रीवास्तव ने जारी किया है.
साइबर सिक्योरिटी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने की मिलेगी ट्रेनिंग
पुलिस मुख्यालय ने पुलिस बल की दक्षता बढ़ाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है. प्रदेश के विभिन्न थानों में पदस्थ पुलिस अमला अब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम से पढ़ाई करेगा. इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण मिलेगा. इससे पुलिस बल मानव तस्करी जैसी संवेदनशील समस्या से निपटने में अधिक संवेदनशील और दक्ष हो सकेगा. साथ ही साइबर अपराधों और ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए पुलिसकर्मियों को अधिक जानकारी और कौशल प्राप्त होगा.
