Lok Sabha Election 2024: जबलपुर लोकसभा सीट का राजनीति इतिहास भी बड़ा रोचक है. आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में जबलपुर में दो सीटें थी. साल 1951 में हुए आम चुनाव में जबलपुर उत्तर सीट से कांग्रेस के सुशील कुमार पटेरिया जीते थे, तो वहीं मंडला-जबलपुर दक्षिण सीट से मंगरु गुरु उइके पहले सांसद बने. इसके बाद 1957 में जबलपुर और मंडला दो अलग-अलग संसदीय क्षेत्र बन गए.
शरद यादव ने महज 27 साल की उम्र में जीता चुनाव
इस साल दूसरी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के सेठ गोविंद दास ने जीत दर्ज की. इसके बाद उनकी जीत का सिलसिला चलता रहा. सेठ गोविन्द दास ने 1962, 1967 और 1971 के चुनाव में भी जीत दर्ज की. इसके बाद 1974 में हुए चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बना और महज 27 साल के छात्र राजनीति से उभरे नेता शरद यादव चुनाव जीत गए. इसके बाद 1977 में शरद यादव ने एक बार फिर जबलपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस के जगदीश नारायण अवस्थी को हराकर जीत दर्ज की थी.
1996 से जबलपुर बन गई है बीजेपी का अभेद्य किला
पहले आम चुनाव के बाद से 1974 तक जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा था. साल 1982 में पहली बार जबलपुर में कमल का फूल खिला और बाबूराव परांजपे बीजेपी पहले सांसद बने. दो साल बाद ही 1984 में कांग्रेस ने सीट पर फिर से कब्जा कर लिया, जब कर्नल अजय नारायण मुशरान ने आम चुनाव में बाबूराव परांजपे को पराजित कर दिया. 1989 के चुनाव में यह सीट फिर बीजेपी के खाते में आ गई. साल 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा जमा लिया. इसके बाद 1996 से जबलपुर लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है.
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विवेक तंखा भी हार चुके हैं दो बार चुनाव
वर्तमान में राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा जैसे धुरंधर भी दो बार यहां से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हार गए. जबलपुर सीट से बीजेपी नेता बाबूराव परांजपे तीन बार, जयश्री बैनर्जी एक बार और राकेश सिंह चार बार सांसद बने. अब साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों से ही नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं क्योंकि जबलपुर के सांसद रहे राकेश सिंह 2023 विधानसभा चुनाव में जबलपुर की पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक बन गए हैं और फिलहाल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं.
चौंकाने वाले नाम लड़ सकते हैं चुनाव
माना जा रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों ओर से नए प्रत्याशी मैदान में होंगे. प्रत्याशी चयन के लिए दोनों ही पार्टियों अंदरूनी तौर पर सर्वे और रायशुमारी में जुटी हुई है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जबलपुर लोकसभा सीट से इस बार बीजेपी चौंकाने वाला नाम सामने ला सकती है. हालांकि जबलपुर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. दमोह लोकसभा सीट से सांसद रहे प्रहलाद पटेल और खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद बीडी शर्मा भी जबलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बन सकते हैं. चर्चाएं तो यह भी है कि इस बार किसी बाहरी बड़े नेता को जबलपुर सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है.
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कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष
हालांकि बीजेपी से कहीं ज्यादा कांग्रेस के अंदर प्रत्याशी उतारने को लेकर संघर्ष चल रहा है. हालात यह बन गए हैं कि कांग्रेस से कोई बड़ा नाम अब तक सामने नहीं आया है. विधानसभा चुनाव के बाद महापौर जगत बहादुर अनु को कांग्रेस की ओर से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा था लेकिन उन्होंने भी हाल ही में बीजेपी का दामन थाम लिया. अब इसके बाद एक बार फिर कांग्रेस के अंदर प्रत्याशी के नाम को लेकर मंथन चल रहा है. सवाल यही है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में जो लहर बनी है उसे लहर में कोई भी कांग्रेसी अपना राजनीतिक भविष्य दांव पर नहीं लगाना चाहता और इसलिए जबलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अंदर गहन चिंतन और मनन चल रहा है.
17 लाख, 11 हजार 683 मतदाता हैं जबलपुर में
बताते चले कि जबलपुर संसदीय सीट में कुल कुल 17 लाख, 11 हजार 683 मतदाता है. इनमें पुरुष मतदाता 8 लाख 97 हजार 949 और महिला मतदाता 8 लाख 13 हजार 734 शामिल है. जबलपुर लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं फिलहाल 8 विधानसभा क्षेत्र में से सात पर बीजेपी का कब्जा है और एक विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है.