Ujjain News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश पर रोक को बरकरार रखा है. इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा है कि कलेक्टर तय करेंगे कौन वीआईपी हैं और कौन नहीं? गर्भगृह में प्रवेश को लेकर जिला कलेक्टर के आदेश को सही पाया है. फिलहाल जैसी स्थिति है, वैसी ही बनी रहेगी. इंदौर के एक वकील दर्पण अवस्थी ने इस बारे में जनहित याचिका लगाई थी. इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर सोमवार को फैसला सुनाया.
क्या है पूरा मामला?
महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश को लेकर वकील चर्चित शास्त्री ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका लगाई थी. इस याचिका में कहा गया था कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता है. वहीं वीआईपी और प्रभावशाली लोगों को मंदिर में प्रवेश दिया जाता है. इस व्यवस्था को लेकर याचिका में सवाल उठाए गए थे.
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एडवोकेट चर्चित शास्त्री ने कहा कि हम रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा कि यह लाखों महाकाल भक्तों का मामला है.
साल 2023 से गर्भगृह में प्रवेश बंद
महाकाल मंदिर प्रशासन ने 4 जुलाई 2024 को सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. ये आदेश 11 सितंबर 2023 तक जारी रहा था. प्रशासन समिति का कहना था कि सावन के बाद ये प्रतिबंध हटा दिया जाएगा, लेकिन ये आदेश आज तक जारी है.
कई बार टूटे महाकाल मंदिर में प्रवेश के नियम
महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर कई बार नियम टूटे हैं. 8 जुलाई 2024 में बीजेपी प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह ने पत्नी के साथ पूजा की. 21 जुलाई 2025 को इंदौर-3 से विधायक गोलू शुक्ला ने अपने बेटे रुद्राक्ष के साथ गर्भगृह में प्रवेश किया. कर्मचारियों को धमकाने का आरोप भी लगा. कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी ने 4 अगस्त 2025 को गर्भगृह में पूजा-अर्चना की.
