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विश्‍व में एकलौता है भगवान बलदेव का ये अद्भुत म‍ंंदिर, जानिए पूरा इतिहास

Baldev Ji Temple

श्री बलदेव जी मंदिर

Unique Temple of Lord Baldev: मध्‍य प्रदेश की पवित्र नगरी पन्ना अपने ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्व है. पन्ना में स्थित श्री बलदेव जी मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. बल्देव मंदिर में प्रतिवर्ष हलछठ का महोत्सव धूम-धाम से मानाया जाता है.

हलछठ पर मनाया जाता है भगवान बलदेव का जन्‍मोत्‍सव

पन्ना के श्री बलदेव मंदिर में भगवान कृष्ण के बडे़ भाई बलदेव जी की विशाल सालिगराम प्रतिमा विराजमान है. जब इस सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान विष्णु के शेषनाग ने मानव अवतार लिया तब उन्‍हें बलदेव कहा गया. भगवान बलदेव पूरे विश्‍व को शेषनाग के रूप में फन पर धारण करते है.

हलछठ के दिन भगवान बलदेव का जन्मोत्सव श्री बल्देव जी मंदिर में पूरी भव्यता व श्रद्वा के साथ मनाया जाता है. जिसमे दूर-दूर से हजारो की संख्या मे श्रद्वालू बडे़ ही भक्ति भाव से इस कार्यक्रम मे शामिल होते हैं. इस दिन महिलाये पुत्र प्रप्ति के लिये हलछठ का वृत रखती है. वही मंदिर मे दर्शन करने आये श्रद्वालुओं में अलग ही आस्था देखने को मिलती है.

सन 1876 में हुआ था मंदिर का निर्मण

इस मंदिर का निर्मण पन्ना के रियासत कालीन महाराजा रूद्र प्रताप सिंह ने सम्बद्व 1933 यानी सन् 1876 में कराया था. रूद्र प्रताप सिंह बडे ही धार्मिक प्रवृत्ति के महाराजा थे. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिये इटली से इंजीनियरो को मंदिर की डिजाईन के लिये पन्ना बुलाया गया था. इस संरचना का मंदिर पूरे विश्व में और कही नहीं है. यह अपने आप में एक मात्र अनूठा मंदिर है.

भारत ही नही बल्कि विश्व में यह मंदिर अद्वितीय है. इस मंदिर में एक हांथ मे हल और दुसरे हांथ में मूसल लिए भगवान बल्देव जी की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से निर्मित की गई है. शालिग्राम पत्थर एक विशेष प्रकार का पवित्र पत्थर है, जिसे हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है. यह मुख्य तौर पर नेपाल में गंडकी नदी (काली गंडकी) के किनारों पर पाया जाता है.

16 कलाओं से निर्मति है ये मंदिर

यह मंदिर 16 कलाओ से परिपूर्ण है. इसमे प्रवेश द्वार में 16 सीढिया है. अंदर प्रवेश करने पर 16 विशाल पिलर एंव 16 दरवाजे देखने को मिलते है. मंदिर के शिखर के इर्द-गिर्द 16 गुम्बदे बनी हुई हैं. इसके साथ-साथ इस मंदिर में 16 खिडकिया बनी हुई हैं. इस मंदिर के निर्माण सम्बद्व 1933 को संधी विग्रह करने पर भी 16 आता है. जैसे अग्नि 3 प्रकार की दैहिक, दैविक और भौतिक. आकाश, पाताल, धरती -3, शरीर के क्षिद्र 9 और पृथ्वी 1 इस प्रकार इनका योग करने पर 16 ही आता है.

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कौन हैं भगवान बलदेव?

भगवान श्री बल्देव जी के अंनत नाम है. इनके अस्त्र-शस्त्र हल और मूसल है. जिनको कृषि देवता एंव भगवान शेषनाग का अवतार भी कहा जाता है. भगवान बल्देव जी ने आकाल के समय स्वंय कृषि कार्य करके किसानो को खेती करने का मार्ग दिखाया था. इन्‍होंने महा प्रलय के समय पर सम्पूर्ण विश्व को अपने मस्तक पर धारण किया था. ऐसा कहा जाता है कि नागो के नागराज प्रलय के समय 400 योजन दूर गई यमुना जी को अपने हल से खींच लाए थे. भगवान बलदेव भगवान श्री कृष्ण के बडे़ भाई है.

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