Bhopal News: बरकतउल्ला भवन (सेंट्रल लाइब्रेरी) में सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित होगी, जिसमें गैस राहत मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह शामिल होंगे.
MP News: जमीन से लगभग डेढ़ मीटर ऊपर लैंडफिल साइट को बनाया जाएगा. एक डोमनुमा आकृति बनाई जाएगी. इसका एरिया 50 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा होगा. इसकी दीवार में राख को नष्ट किया जाएगा
धार जिले के पीथमपुर में बवाल हो गया है. यहां यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे का विरोध रहे लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया.
Bhopal Gas Tragedy: आज भोपाल गैस कांड की 40वीं बरसी है. प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने श्रद्धांजलि अर्पित की है. पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की
Bhopal Gas Tragedy: जब भी कभी भोपाल गैस त्रासदी का जिक्र होता है तो उस भयानक मंजर के साथ-साथ एक बच्चे की तस्वीर सबसे पहले सामने आती है. जानते हैं उस भयानक तस्वीर की कहानी, जिसे देखने के बाद सब रोआंसे हो उठे थे. वही तस्वीर जो इस त्रासदी की 'प्रतीक' बन चुकी है.
Bhopal Gas Tragedy: MP की राजधानी भोपाल में हुई दर्दनाक गैस त्रासदी को आज 40 साल पूरे हो चुके हैं. 4 दशक बीतने के बाद भी आज तक पीढ़ियां उस त्रासदी के दुष्प्रभाव को झेल रही हैं.
Bhopal Gas Tragedy: साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से 2 साल पहले यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में एक हादसा हुआ था. 5 अक्टूबर 1982 को यूनियन कार्बाइड के प्लांट में क्लोरोफॉर्म, मिथाइल आइसोसाइनेट और हाइड्रोक्लोरिक एसिड का रिसाव हुआ. इस रिसाव से 18 लोग प्रभावित हुए थे
Bhopal Gas Tragedy: डॉ. वरदराजन ने ऑपरेशन फेथ का नेतृत्व किया. जिसका उद्देश्य टैंक 611 से बचे मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) को सुरक्षित तरीके से नष्ट करना था. उन्होंने और उनकी टीम ने एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका अपनाया. इसमें मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) को एक केमिकल प्रोसेस द्वारा "सेविन" नामक पदार्थ में बदल दिया गया
Bhopal Gas Tragedy: 2 दिसंबर 1984 की रात भारत के इतिहास में अब तक की सबसे 'काली रात' मानी गई है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस रात हुई गैस त्रासदी की इस घटना को इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा माना गया है.
Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी में हजारों लोगों की मौत हुई और लाखों लोग प्रभावित हुए. भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार लगभग 3 हजार लोगों की तत्काल मृत्यु हुई. इसके उलट गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) का मानना है कि यह संख्या 20 हजार से ज्यादा थी