वक्फ संशोधन बिल को समर्थन देने के बाद JDU में लगातार मुस्लिम नेता इस्तीफा दे रहे हैं. बिल का समर्थन करने के बाद नीतीश कुमार की सेक्युलर छवि पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
वक्फ बिल को संसद के दोनों सदनों में 10 घंटे से ज्यादा चर्चा के बाद पास किया गया है. लेकिन इसको लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिल के खिलाफ कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका लगाई है.
क्फ बिल की बहस ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. पुराने रिकॉर्ड्स में एक दिन में 14 घंटे से ज्यादा की बहस का जिक्र नहीं मिलता. GST और लोकपाल जैसे सत्र 12-13 घंटे तक चले, लेकिन वक्फ बिल ने उस सीमा को पार कर दिया. हालांकि, प्राचीन डेटा की कमी के कारण इसे 100% निश्चित कहना मुश्किल है. फिर भी, आधुनिक समय में ये निश्चित रूप से सबसे लंबी एकल सत्र बहसों में से एक है.
भारत सरकार के मुताबिक, कई इस्लामिक देश ऐसे हैं जहां वक्फ की कोई व्यवस्था नहीं है. इनमें तुर्किये, लीबिया, इजिप्ट, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक शामिल हैं. यानी इन देशों में न तो वक्फ बोर्ड है और न ही ऐसी संपत्तियों को मैनेज करने का कोई खास सिस्टम.
ललन सिंह ने कहा कि कुछ लोग इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताकर देश का माहौल खराब कर रहे हैं. वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक ट्रस्ट है जो मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए काम करता है. लेकिन अभी तक वक्फ बोर्ड में पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
एनडीए की सहयोगी जेडीयू ने इस बिल पर सस्पेंस बढ़ा दिया है. केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा, "नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए ढेर सारा काम किया है. हमें विपक्ष के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं. संसद में हमारा रुख साफ होगा."