Ayodhya Ram Mandir: रामनवमी के मौके पर अयोध्या में विराजमान रामलला के माथे पर ‘सूर्य तिलक’ लगेगा. राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने इसको लेकर एक अपडेट दिया है. उन्होंने कहा कि सभी लोग आश्वस्त हैं कि राम नवमी पर जो श्रद्धालु आएंगे, उनको सुविधा के साथ भगवान राम का दर्शन कराया जाएगा. मिश्रा ने कहा कि विशेष रूप से राम नवमी में आकर्षण भी है. हम लोग सूर्य तिलक को लेकर कोशिश कर रहे हैं और अभ्यास किया जा रहा है.
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए आगे कहा कि हम लोगों की पूरी कोशिश है कि सूर्य किरण भगवान के माथे पर 12:16 बजे के करीब पांच मिनट के लिए आए और आशीर्वाद प्राप्त करे. उन्होंने कहा कि उसके लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी व्यवस्था की जा रही है. मंदिर ट्रस्ट और हम लोग पूरी तरह से इसमें कार्य कर रहे हैं और हमारे वैज्ञानिक भी पूरी तरह से कार्य में जुटे हुए हैं कि वो इस कार्य में सफल हों.
इस बार का राम नवमी बेहद खास
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इसीलिए हर साल इस दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन रामभक्तों के लिए इस बार का राम नवमी पर्व खास होने वाला है. इसकी वजह है कि करीब 500 साल के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्रीराम अपनी जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं. इसलिए रामनवमी के दिन इस बार अयोध्या में राम मंदिर का भव्य नजारा देखने को मिलेगा.
राम नवमी के दिन यानी 17 अप्रैल, 2024 को सूर्यदेव रामलला के शोभा बढ़ाएंगे. राम जन्मोत्सव के मौके पर करीब 5 मिनट तक सूर्यदेव रामलला का तिलक करेंगे. सूर्य अभिषेक का सफल परीक्षण भी सामने आ गया है. जिसे देखने के बाद राम भक्त खुश हैं.
ऐसे किया जाएगा सूर्य तिलक
मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थापित किए जाने वाले ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम में हाई क्वालिटी मिरर, एक लेंस और खास एंगल पर लगे लेंस के साथ वर्टिकल पाइपिंग लगाए गए हैं. मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर दो मिरर और एक लेंस को फिट किया गया है. तीसरे फ्लोर पर भी जरूरी उपकरण लगाए जा रहे हैं. सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर लगे पहले दर्पण पर गिरेगी और तीन लेंस, दो अन्य मिरर से होते हुए सीधे ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी मिरर पर पड़ेगी. इससे रामलला के मूर्ति के मस्तक पर सूर्य किरण का एक तिलक लग जाएगा. यह करीब पांच मिनट तक रामलला के माथे पर रहेगा.