देश के तीन ऐसे वित्त मंत्री, जो संसद में नहीं पेश कर पाए बजट, जानिए क्या रही इसके पीछे की वजह
केसी नियोगी और नारायण दत्त तिवारी
Budget 2025: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट 2025 पेश करने वाली हैं. 1 फरवरी को यह बजट संसद मे पेश होगा. जिसमें आम लोगों के लिए भी कई बड़े ऐलान हो सकते हैं. खासकर टैक्स और इंश्योरेंस को लेकर सरकार कुछ अलग कर सकती है. ऐसे ही शेयर बाजार को भी बजट से खास उम्मीद है.
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकार्ड पूर्व पीएम मोरारजी देसाई को जाता है. इन्होंने सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया है. इसके बाद 9 बार बजट पेश करने का रिकार्ड पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के नाम है. लेकिन देश के तीन वित्त मंत्री ऐसे भी रहे है जिन्हे संसद मे बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला. हालांकि तीनों ही वित्त मंत्री के संसद में बजट भाषण पेश न करने के अलग कारण रहे हैं.
वित्त मंत्री जिन्होंने बजट पेश नहीं किया
केसी नियोगी
केसी नियोगी देश के पहले फाइनेंस कमीशन के चेयरमैन बने थे, अगस्त 1948 में उन्होंने देश के दूसरे वित्त मंत्री का पदभार संभाला. केसी नियोगी ने देश के पहले वित्त मंत्री आर.के. शनमुखम की जगह यह जिम्मेदारी संभाली. हालांकि, वह इस पद पर ज्यादा दिनों तक नहीं रहे और महज 35 दिनों के भीतर ही इस्तीफा सौंप दिया. इस अवधि के दौरान उन्हें अपना बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला. भले ही वह देश के पहले ऐसे वित्त मंत्री रहे जो बजट नहीं पढ़ सके, लेकिन वह आजाद भारत के दूसरे वित्त मंत्री के रूप में पहचाने जाने लगे.
हेमवती नंदन बहुगुणा
इनकी स्थिति भी केसी नियोगी जैसी ही रही है, साल 1979 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार मे उन्हे वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि, देश के 13वें वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल महज 3 महीने का रहा. वह 28 जुलाई 1979 से 25 अक्टूबर 1979 तक ही इस पद पर बने रहे. 3 महीने का छोटा कार्यकाल होने के कारण उन्हें भी बजट भाषण पढ़ने का मौका नहीं मिला.
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नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी का कार्यकाल लंबा होने के बावजूद बजट पेश नहीं कर पाए. इस लिस्ट में वह तीसरी पू्र्व वित्त मंत्री रहे. नारायण दत्त तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश और फिर उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री रहे. भारतीय राजनीति का बड़ा नाम होने के बाद भी वह वित्त मंत्री के रूप में बजट भाषण नहीं दे सके. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तिवारी को 1987-88 में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन आम बजट पेश करने का काम उन्हें नहीं दिया गया.