Tea Crisis: उत्तर भारत के टी इंडस्ट्री पर संकट के बादल, खराब मौसम ने बढ़ाई परेशानी, उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज
North India’s Tea Industry: उत्तर भारत के चाय उद्योग को बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है. खराब मौसम के बीच उत्पादन में 60 हजार किलो की गिरावट आई है. इसको लेकर टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पूरे उत्तर भारत में चाय उत्पादन में भारी कमी पर चिंता जताई है. इस संकट के लिए बारिश की भारी कमी और अत्यधिक गर्मी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. भीषण गर्मी ने मौजूदा फसल सीजन के दौरान इस क्षेत्र को भारी मात्रा में प्रभावित किया है.
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि जून 2024 के अंत तक उत्पादन में संचित गिरावट पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 60 हजार किलोग्राम की हो सकती है.
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चाय उद्योग के भविष्य पर खतरा
इन प्रतिकूल मौसम स्थितियों ने न केवल चाय की पैदावार को कम कर दिया है, बल्कि एक महत्वपूर्ण संकट भी पैदा कर दिया है, जो संभावित रूप से उद्योग की भविष्य की व्यवहार्यता को खतरे में डाल रहा है. भारतीय चाय बोर्ड के लेटेस्ट आंकड़े चाय उगाने वाले राज्यों असम और पश्चिम बंगाल के लिए एक गंभीर तस्वीर पेश करता हुआ नजर आ रहा है. अप्रैल 2024 तक, असम में उत्पादन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 8 प्रतिशत कम हो गया है, जबकि पश्चिम बंगाल में इससे भी अधिक 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.
पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट
वहीं मई में स्थिति और भी खराब हो गई, असम और पश्चिम बंगाल में चाय बागानों ने पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन में क्रमशः 20 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट दर्ज की. इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण शुरुआती बढ़ते मौसम के दौरान वर्षा में भारी कमी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 1 मार्च से 31 मई तक के आंकड़े ऐतिहासिक मानदंडों की तुलना में इन महीनों के लिए पश्चिम बंगाल के प्रमुख चाय जिलों में वर्षा में 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत की कमी और असम में 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
बता दें कि चाय स्वाभाविक रूप से बारिश पर आधारित फसल है, जो पनपने के लिए लगातार वर्षा पर निर्भर रहती है. वर्षा की स्पष्ट कमी के कारण चाय की झाड़ियां काफी हद तक मुरझा गई हैं, बारिश की कमी न केवल तत्काल उपज को बाधित करती है बल्कि चाय के पौधों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को भी खतरे में डालती है.
मई के अंत में भारी बारिश से नष्ट हुआ फसल
मई के अंत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन से स्थिति और खराब हो गई है, जिससे चाय उगाने वाले जिलों में भारी वर्षा हुई. हालांकि शुरुआत में बारिश का स्वागत किया गया था, लेकिन अत्यधिक वर्षा और उसके बाद धूप की कमी ने उत्पादन को और बाधित कर दिया है. आईएमडी के अनुसार, जून की पहली छमाही में वर्षा का स्तर पश्चिम बंगाल में सामान्य से 15 प्रतिशत से 66 प्रतिशत अधिक और असम में 3 प्रतिशत से 20 प्रतिशत अधिक रहा है. जिसके कारण खेतों में पानी भर गया है और प्रकाश संश्लेषण कम हो गया है, जिससे उत्पादन संकट और बढ़ गया है.