Vistaar NEWS

Mukhtar Ansari: क्रिकेट का शौक, साधु सिंह गैंग का हिस्सा… जानिए कैसे संगठित अपराध का चेहरा बना माफिया मुख्तार अंसारी

Mukhtar Ansari Death, Mukhtar Ansari

मुख्तार अंसारी

Mukhtar Ansari Death: जेल में बंद मुख्तार अंसारी की आज मौत हो गई है. यूपी में संगठित अपराध का चेहरा माने जाने मुख्तार और उसके परिवार की पहली पहचान राजनीति से जुड़ी है. करीब 18 साल से ज्यादा वक्त जेल में गुजारने वाले माफिया के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. मुख्तार अहमद अंसारी गांधी जी के साथ काम करते हुए 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. वहीं मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को साल 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र प्रदान किया गया था.

पिता सुभानउल्ला अंसारी साफ सुथरी छवि के नेता

मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी भी साफ सुथरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं. लेकिन इसके बाद भी मुख्तार की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. कहा जाता है कि वह क्रिकेट खेलने का शौकीन था. इस बीच वह कॉलेज के जमाने में ही माफिया साधु सिंह के गैंग में शामिल हो गया और यूपी का सबसे बड़ा माफिया बन गया.

1988 में मुख्तार का नाम अपराध की दुनि‍या में आया सामने

साल 1988 में मुख्तार अंसारी का नाम अपराध की दुनि‍या में पहली बार सामने आया. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार का नाम आरोपी के तौर पर सामने आया. इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के बड़े भाई और यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई. इसमें भी मुख्तार अंसारी का ही नाम सामने आया.

अपराध की दुनि‍या मुख्‍तार का टाइमलाइन

BJP छोड़कर यूपी की हर पार्टी में हुआ शामिल

एक वक्त ऐसा भी था, जब पूरा प्रदेश मुख्तार के नाम से कांपता था. इस बीच वह BJP छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल भी हुआ. वह 24 साल से लगातार विधानसभा का चुनाव भी जीतता रहा. साल 1996 में BSP के टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बनने वाला मुख्तार साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से लगातार विधायक चुना गया. इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में रहते हुए लड़ा और जीता भी

कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से जेल में बंद

साल 2002 में BJP के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छी ली. यहां से यूपी के पूर्वांचल में सबसे बड़ी अदावत शुरू हो गई. यह बात मुख्तार को बेहद नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर सके कि तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई.

यह भी पढ़ें: Mukhtar Ansari: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

65 से अधिक केस दर्ज

कृष्णानंद हत्याकांड में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था. बाद में मामले की जांच यूपी पुलिस से लेकर CBI को सौंप दी गई. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को साल 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर किया, लेकिन गवाहों के मुकर जाने से यह मामला नतीजे तक नहीं पहुंच सका. वहीं योगी सरकार आने के बाद मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो. उस पर 65 से अधिक केस दर्ज हैं.

यह भी पढ़ें: Mukhtar Ansari: जेल में बंद मुख्तार अंसारी की अचानक तबीयत बिगड़ी, ICU में भर्ती, स्लो पॉइजन देने का लगाया था आरोप

15 केस में जल्द सजा दिलाने की थी कोशिश

यूपी सरकार कोशिश कर रही थी कि उसे 15 केस में जल्द सजा मिले. वहीं योगी सरकार अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ रुपए से ज्यादा संपत्ति को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर चुकी है. मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की पहचान भी की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक 96 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इनमें से मुख्तार के 75 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई भी की गई है.

Exit mobile version