UCC Bill: 6 महीने जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना…बिना रजिस्ट्रेशन अब उत्तराखंड में नो लिव-इन रिलेशन!

UCC Bill: सभी लिव-इन में रहने वाले कपल को कानून के तहत रजिसटर्ड होना होगा. लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे.
UCC Bill

प्रतीकात्मक तस्वीर

UCC Bill: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC ) पेश की. प्रस्तावित कानून संविधान के भाग 21 के तहत सूचीबद्ध अनुसूचित जनजाति को छोड़कर राज्य के सभी नागरिकों पर लागू होगा. विधानसभा से पास होने और फिर राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. यूसीसी के बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. आइये जानते हैं कि इसमें लिव-इन रिलेशनशिप के लिए क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं.

लिव-इन रिलेशनशिप

यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. इसके मुताबिक, सिर्फ एक व्यस्क पुरुष और वयस्क महिला ही लिव इन में रह सकेंगे. वे पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए. सभी लिव-इन में रहने वाले कपल को कानून के तहत रजिसटर्ड होना होगा. लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे. यदि कोई भी साथी 21 वर्ष से कम उम्र का है, तो रजिस्ट्रार जोड़े के माता-पिता को सूचित करेगा और पंजीकरण को स्थानीय पुलिस स्टेशन को भेज देगा. लिव-इन रिलेशनशिप को रजिसटर्ड नहीं करने पर तीन महीने तक की जेल और 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

लिव-इन रिलेशनशिप खत्म करने की स्थिति में रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा, जो फिर दूसरे पार्टनर को सूचित करेगा. यदि कोई पुरुष किसी महिला को लिव-इन रिलेशनशिप में छोड़ देता है, तो उसे महिला को गुजारा भत्ता देना होगा.

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विवाह और तलाक

यह कानून उत्तराखंड के सभी नागरिकों के लिए लागू होगा. विवाह की आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है. विवाह के समय, पुरुषों के पास जीवित पत्नी नहीं होनी चाहिए, और महिलाओं के पास जीवित पति नहीं होना चाहिए.

कानून निकाह (मुस्लिम विवाह), सप्तपदी (हिंदी विवाह), आनंद कारज (सिख विवाह) या किसी अन्य धार्मिक रूप के तहत विवाह की अनुमति देता है. प्रत्येक मैरिज को 60 दिनों के भीतर रजिसटर्ड कराना होगा. विवाह पंजीकरण के दौरान गलत जानकारी देने पर तीन महीने की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना और मैरिज रजिसटर्ड न कराने पर 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.

बिना कोर्ट के आदेश के कोई भी शादी नहीं तोड़ी जा सकती वरना 3 साल तक की जेल की सजा होगी. नियम का उल्लंघन कर विवाह करने पर छह महीने की जेल और 50,000 रुपये तक का जुर्माना होगा.

बिना वसीयत का उत्तराधिकार

वसीयत छोड़े बिना मरने वाले व्यक्ति के निकटतम परिवार के सदस्यों को संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा. यदि मृत व्यक्ति का कोई निकटतम परिवार नहीं है, तो संपत्ति को दूसरे रिश्तेदारों के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा, जो कि पैतृक पक्ष से निकटतम चचेरे भाई होंगे. यदि कोई दावेदार नहीं है, तो दूसरों को संपत्ति पर दावा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.

बेटे और बेटियों को संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा और कानून में हिंदू संयुक्त परिवार की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान किया गया है.

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