Uniform Civil Code: सरकार को मिल UCC का ड्राफ्ट, लागू होते ही पति-पत्नी से लेकर लिव-इन के लिए बदल जाएंगे ये नियम
Uniform Civil Code: उत्तराखंड में बीजेपी ने चुनाव के दौरान राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड़ लागू करने का वादा किया था. राज्य में चुनाव के बाद सरकार बनी तो सीसी पर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी बना दी गई थी. अब इस कमेटी ने यूसीसी पर तैयार मसौदा राज्य सरकार को सौंप दिया है. अब ये मसौदा आगामी विधानसभा सत्र यानी 6 फरवरी को विधानसभा में रखा जाएगा.
मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट मिलने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से हमें इस ड्राफ्ट का इंतजार था, आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है. हमने उत्तराखंड की जनता से वादा किया था कि नई सरकार के गठन के बाद हम समान नागरिक संहिता के लिए कानून बनाएंगे. इस ड्राफ्ट का परीक्षण करने के बाद जो भी जरूरी औपचारिकताएं हैं उसे पूरा कर, ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश कर विधेयक लाएंगे.’
ये नियम बनेंगे सख्त
हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी पर तैयार किए गए मसौदे में करीब 400 से अधिक धाराएं शामिल हो सकती हैं. जानकार बताते हैं कि इसके लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी. दूसरी ओर लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष तय कर दी जाएगी.
ये लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को इस संबंध में जानकारी देनी होगी. इन्हें अपने माता-पिता को जानकारी देनी होगी. इसके अलावा पुलिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वहीं विवाह के बाद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के शादी अमान्य होगी.
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अब गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और मुस्लिमों महिलाओं को गोद लेना आसान होगा. नौकरी करने वाले बेटे की मौत होती है तो बुजुर्ग माता-पिता को पालने की जिम्मेदारी पत्नी की होगी. अगर पति के मरने के बाद पत्नी दूसरी शादी करते है तो उसे पति के माता-पिता के साथ मुआवजा साझा करना होगा.
दूसरी ओर अगर पत्नी की मौत होती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिला तो उसकी पूरी जिम्मेदारी पति की होगी. वहीं अगर पति-पत्नी के बीच विवाद होता है तो बच्चों को दादा-दादी के पास सौंप दिया जाएगा. आदिवासियों को यूसीसी में छूट दी जाएगी.