‘देश का न हो विकास, इसके लिए कुछ लोग कर रहे साजिश’, बोले- RSS चीफ मोहन भागवत

RSS Chief Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पहले भारत पर बाहरी आक्रमण काफी होते थे इसलिए लोग सतर्क रहते थे. लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में सामने आ रहे हैं.
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मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख

RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कुछ तत्व जो नहीं चाहते कि भारत विकास करे, इसके विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी लेकिन धर्म की शक्ति का प्रयोग कर इससे निपटा गया था.

भागवत ने डॉ मिलिंद पराडकर की किताब ‘तंजावरचे मराठे’ के विमोचन के अवसर पर सोमवार को यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब सिर्फ पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है जिसमें सत्य, करुणा, तपश्चर्या (समर्पण) शामिल है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदू’ शब्द एक विशेषण है जो विविधताओं को स्वीकार करने का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विचार को आगे बढ़ाने और एक उद्देश्य के लिए अस्तित्व में आया.

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पहले भारत पर होते थे बाहरी आक्रमण

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पहले भारत पर बाहरी आक्रमण काफी होते थे इसलिए लोग सतर्क रहते थे. लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जब ताड़का ने (रामायण में एक राक्षसी ने) आक्रमण किया, तो बहुत अराजकता फैल गई और वह राम और लक्ष्मण के केवल एक बाण से मारी गई. वहीं, पूतना राक्षसी जो बाल कृष्ण को मारने आई थी वह कृष्ण को स्तनपान कराने के लिए मौसी के वेश में आयी थी, चूंकि वह कृष्ण थे उन्होंने उसे मार डाला. ’’

भागवत ने आगे कहा, ‘‘आज के हालात भी वैसे ही हैं, हमले हो रहे हैं और वो हर तरह से विनाशकारी हैं चाहे वह आर्थिक हो, आध्यात्मिक हो या राजनीतिक.’’ उन्होंने कहा कि कुछ तत्व भारत के विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर इसके विकास से डरे हुए हैं लेकिन वो सफल नहीं होंगे.

“कुछ लोग भारत के विकास में बाधा डालना चाहते हैं”

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘जिन लोगों को डर है कि अगर भारत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ता है तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे, ऐसे तत्व देश के विकास की राह में बाधा पैदा करने के लिए अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे योजनाबद्ध तरीके से हमले कर रहे हैं लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी, जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी.’’

मोहन भागवत ने कहा कि भारत को परिभाषित करने वाली एक चीज है ‘जीवन शक्ति’. उन्होंने कहा, ‘‘जीवन शक्ति हमारे राष्ट्र का आधार है और यह धर्म पर आधारित है जो हमेशा रहेगा. धर्म सृष्टि के आरंभ में था और अंत तक इसकी जरूरत रहेगी.”

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