हमास हमले के एक साल, युद्ध के बीच कितने बदले पश्चिमी एशिया के हालात, क्या है भारत-अमेरिका का स्टैंड?

Israel-Hamas War: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास का अस्तित्व धरती से मिटा देने की कसम खाई थी. जिसके बाद से इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) के अभियानों के बाद से गाजा में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक है.
Israel-Hamas War

हमास हमले का एक साल पूरा

Israel-Hamas War: पश्चिम एशिया में 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकवादी हमलों से शुरू हुआ संकट अब एक साल से जारी है. अनुमानों के अनुसार, गाजा और लेबनान में इजरायल के जमीनी हमलों और हवाई बमबारी में 41,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. एक तरफ जहां गाजा पूरी तरह से तबाह हो गया है वहीं, माना जाता है कि हमास ने अभी भी 97 लोगों को बंधक बना रखा है. आइये जानते हैं हमले के एक साल पूरे होने के बाद पश्चिम एशिया के देशों में क्या हालात हैं.

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास का अस्तित्व धरती से मिटा देने की कसम खाई थी. जिसके बाद से इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) के अभियानों के बाद से गाजा में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक है. इजरायल ने ईरान समर्थित विद्रोही समूहों- विशेष रूप से लेबनान स्थित हिजबुल्लाह और यमन स्थित हूतियों के खिलाफ अपने सैन्य लाभ को बढ़ाने की मांग की है. हूती हमलों ने लाल सागर में इंटरनेशनल शिपिंग को बाधित कर दिया है.

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इजरायल का ईरान को चेतावनी

जवाबी कार्रवाई में, इज़रायल ने लेबनान पर हमला करने के अलावा सीरिया और यमन में हमले किए हैं जबकि उसने गाजा में जमीनी अभियान जारी रखा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा युद्ध विराम के आह्वान, संयम बरतने की अमेरिकी सलाह और इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि हमास पहले ही काफी कमजोर हो चुका है, अप्रैल में ईरान द्वारा उसके खिलाफ क्रूज मिसाइल और ड्रोन हमले के बाद भी इज़रायल ने जवाबी कार्रवाई की और 1 अक्टूबर को हवाई हमलों के लिए तेहरान शासन को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.

क्या चाहते हैं अरब देश?

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसी प्रमुख अरब शक्तियां मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक रीसेट की प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अक्टूबर 2023 से पहले चल रही थी. हालांकि, युद्ध ने फ़िलिस्तीनी संप्रभुता के प्रश्न को केंद्र में ला दिया है, क्षेत्र के सभी राज्य इसे स्थायी शांति के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में देख रहे हैं. आर्थिक विकास के लिए आवश्यक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए न केवल इज़रायल बल्कि ईरान के साथ भी शांति की आवश्यकता है. सउदी और अमीराती दोनों यमन में अपनी भागीदारी से पीछे हटने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, इससे पहले कि मौजूदा संकट ने हूतियों को नई प्राथमिकताएं दीं.

अमेरिका और पश्चिमी देशों का क्या है रुख?

अमेरिका-इजरायल संबंध मजबूत हैं. अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम का दृष्टिकोण लगातार सभी पक्षों को आगे बढ़ने के खिलाफ चेतावनी देना, गाजा के लिए मानवीय सहायता के लिए प्रतिबद्ध होना लेकिन इजरायल के साथ दृढ़ता से खड़ा होना है, भले ही वह किसी भी रेड लाइन का उल्लंघन करता हो. बाइडेन प्रशासन नेतन्याहू से बहुत निराश है, लेकिन इज़रायल की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

चीन का क्या है योगदान?

मॉस्को द्वारा रुचि दिखाने के बावजूद, अक्टूबर 2023 में हमास और ईरानी नेताओं की मेजबानी सहित, यूक्रेन में युद्ध ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मध्य पूर्वी घटनाओं को प्रभावित करने की क्षमता को भी सीमित कर दिया है. दूसरी ओर, चीन ने पिछले साल मध्य पूर्व में महत्वपूर्ण राजनयिक और आर्थिक पकड़ बनाई है, जिसमें जुलाई में फतह-हमास सुलह समझौता शामिल है.

भारत का स्टैंड क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2023 और 2024 दोनों सालों में युद्ध के दौरान नेतन्याहू से फोन पर बात की, चिंता व्यक्त की और एकजुटता की पेशकश की. पीएम मोदी ने टू-स्टेट समाधान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी बात की. भारत ने लगातार यूएनजीए के प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया है, जिसमें कब्जे वाले क्षेत्रों से इजरायल की वापसी का आह्वान किया गया है.

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