6,798 करोड़ के 2 मेगा रेलवे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी, बिहार और आंध्र प्रदेश को होगा फायदा, मोदी सरकार ने फिर खोला खजाना
Modi Cabinet Meeting: गुरुवार को कैबिनेट बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए, जिनमें स्पेस और रेलवे सेक्टर से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई. इन फैसलों से देश के टेक्निकल और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर को मजबूती मिलेगी. इस बैठक में स्पेस सेक्टर को प्रोत्साहन देने और रेलवे नेटवर्क के विस्तार के लिए फैसले हुए.
स्पेस स्टार्टअप्स के लिए 1000 करोड़
स्पेस सेक्टर में इनोवेशन को बढ़ाने के लिए कैबिनेट ने 1000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड को मंजूरी दी है. यह फंड IN-SPACe के तहत स्पेस सेक्टर में काम करने वाले स्टार्टअप्स की मदद के लिए तैयार किया गया है. इस फंड से देश में उभरते हुए स्पेस स्टार्टअप्स को मोनेटरी सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपने इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकें.
फंड की संरचना इस प्रकार होगी कि अगले 5 सालों में हर साल 150 से 250 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा. 2025-26 में 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसके बाद अगले सालों में 250-250 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. यह फंड लगभग 40 स्टार्टअप्स को मदद करेगा.
रेलवे के दो प्रोजेक्ट्स को मंजूरी
इसके अलावा, कैबिनेट ने रेलवे के दो प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 6798 करोड़ रुपये है. पहला प्रोजेक्ट बिहार के नरकटियागंज और मुजफ्फरपुर के बीच 256 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन को डबल करने से संबंधित है. इस प्रोजेक्ट के तहत रेलवे की पहुंच नेपाल के बॉर्डर एरिया तक हो जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी और व्यापार को गति मिलेगी.
दूसरा प्रोजेक्ट आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच एक नई रेलवे लाइन बिछाने का है. यह 57 किलोमीटर लंबी लाइन येर्रुपलेम और नंबूर के बीच होगी, जो अमरावती से होकर गुजरेगी. इस नई लाइन से इन दोनों राज्यों के बीच यातायात और माल ढुलाई में आसानी होगी, जिससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत में भी कमी आएगी.
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5 साल में पूरे होंगे प्रोजेक्ट्स
इन दोनों रेलवे प्रोजेक्ट्स को अगले 5 सालों में पूरा करने का टारगेट रखा गया है. इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से न केवल कनेक्टिविटी आसान होगी, बल्कि इससे देश को आर्थिक लाभ होंगे. लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आने के साथ-साथ तेल आयात पर निर्भरता कम होगी और इससे पर्यावरण पर भी पोसिटिव प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड में भी कमी आएगी.