अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से फायदा या नुकसान? जानें भारत को लेकर क्या है डोनाल्ड ट्रंप का स्टैंड

US Presidential Election 2024: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की केमेस्ट्री भी खूब चर्चा में रही है. दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध की बानगी कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में दिख चुकी है.
US Presidential Election 2024

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप

US Presidential Election 2024: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस पर जीत हासिल कर ली है. रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रैट उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला है. अगर ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका भारत पर भी असर पड़ना तय है. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और US के संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है.

दिवाली के खास मौके पर ट्रंप ने सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था. साथ ही अपनी सरकार आने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और आगे बढ़ाने का वादा किया है.

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बांग्लादेश मामले पर ट्रंप ने की थी टिप्पणी

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हिंदुओं ओर अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की भी कड़ी निंदा की है. अब तक कई सारी ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद सैकड़ों हिंदुओं को जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा था. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की केमेस्ट्री भी खूब चर्चा में रही है.

दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध की बानगी कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में दिख चुकी है. 2019 में टेक्सास में “हाउडी, मोदी!” रैली में यह नजर आया था, जहां ट्रंप ने लगभग 50,000 लोगों के सामने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की मेजबानी की थी. यह किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी.

ट्रंप और मोदी के राष्ट्रवादी विचार ऐक जैसे

वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने पर पीएम मोदी ने भी उनकी मेहमाननवाजी दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में की थी. दोनों के राष्ट्रवादी विचार भी तकरीबन एक जैसे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘इंडिया फ़र्स्ट’ विजन और डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति काफी मिलते-जुलते हैं, जिसमें दोनों नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा पर जोर देते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला प्रशासन साफतौर पर अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसीज पर ही जोर देगा. साथ ही भारत पर व्यापार बाधाओं को कम करने और टैरिफ का सामना करने का दबाव डालेगा. ऐसे में भारत का आईटी, फ़ार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है.

रक्षा सहयोग बेहतर होने की संभावनाएं

चीन को लेकर भारत की जो भी चिंताएं हैं, वह डोनाल्ड ट्रंप के रुख से मेल खाता है. ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर और मजबूत होने की संभावनाएं हैं. पिछली बार ट्रंप के ही कार्यकाल में ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी क्वाड को मजबूत किया गया था. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव के बीच अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकते हैं.

इमिग्रेशन और H-1B वीजा पॉलिसीज

इमिग्रेशन पर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंधात्मक नीतियों, विशेष रूप से H-1B वीजा प्रोगाम ने अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स पर काफी ज्यादा प्रभाव डाला है. ऐसी नीतियों की वापसी से भारतीयों के लिए अमेरिका जॉब मार्केट में नौकरी हासिल करना थोड़ा कठिन हो जाएगा. साथ ही जो भी क्षेत्र भारतीय श्रमिकों पर अधिक निर्भर है, उन पर प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा सख्त इमिग्रेशन कानून भारतीय तकनीकी फर्मों को अन्य बाजारों की खोज करने या फिर डोमेस्टिक मार्केट में अधिक अवसर बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है.

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