UP News: पीसीएस परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे छात्र, केशव प्रसाद मौर्य ने दिए समाधान निकालने के निर्देश

UPPSC द्वारा नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाने और परीक्षा को दो शिफ्ट में कराने के कारण छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का मानना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है.
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UP News: उत्तर प्रदेश पीसीएस ‘प्री’ और आरओ, एआरओ की परीक्षा का छात्र विरोध कर रहे हैं. यह विरोध UPPSC की ओर से लिए गए नॉर्मलाइजेशन के फैसले को लेकर है. 11 नवंबर से हजारों की संख्या में छात्र यूपी पीएससी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और इस निर्णय को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि आयोग बीते दो सालों से परीक्षा कराने में  असफल रहा है, जिससे उनके भविष्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

इस मामले पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पर कहा कि यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को परीक्षा केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया से जुड़ी छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से समझने की बात कही और भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार छात्रों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेगी.

छात्रों की मुख्य समस्याएं

छात्रों का कहना है कि पिछले दो सालों से UPPSC परीक्षा नहीं करा पाया है. 2024 की शुरुआत में आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसकी परीक्षा मार्च माह में आयोजित की जानी थी. फिर, इसे अक्टूबर में आयोजित करने का निर्णय लिया गया.

इसी प्रकार आरओ और एआरओ की परीक्षा 11 फरवरी को आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक होने के कारण इसे निरस्त कर दिया गया था. इस परीक्षा को भी अक्टूबर माह में आयोजित करने का प्रस्ताव था, लेकिन अचानक दिसंबर माह में परीक्षा का ऐलान कर दिया गया और छात्रों को दो शिफ्ट में परीक्षा देने का फरमान सुनाया गया.

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कई शिफ्ट में परीक्षा के खिलाफ आंदोलन

UPPSC द्वारा नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाने और परीक्षा को दो शिफ्ट में कराने के कारण छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का मानना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है. उनके अनुसार, नॉर्मलाइजेशन से कई बार ऐसे उम्मीदवारों का चयन हो जाता है जिनके अंक समान स्तर के नहीं होते. इसके अलावा, दो दिन की परीक्षा से भी निष्पक्षता पर सवाल खडे हो जाते है. छात्र चाहते हैं कि परीक्षा एक ही दिन आयोजित की जाए और परीक्षा के मानकों को पारदर्शी बनाया जाए.

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