महंगाई के दौर में EMI में राहत नहीं, फरवरी 2025 तक ब्याज दरें स्थिर रहने के आसार

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले भी स्पष्ट किया है कि महंगाई दर के 4 फीसदी के लक्ष्य तक स्थिर रहने के बाद ही ब्याज दरों में कटौती पर विचार किया जाएगा.
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Retail Inflation Data: अक्टूबर 2024 में कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स 6 फीसदी के पार पहुँच गई है, जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली है. महंगाई दर के ऊपर पहुंचने से EMI अब सस्ती नहीं होंगी. अक्टूबर महीने में यह दर 6.21 फीसदी रही.

ऐसे में दिसंबर 2024 में होने वाली आरबीआई की MPC की बैठक में रेपो रेट में कटौती की संभावना लगभग समाप्त मानी जा रही है. फुड इंफ्लेशन रेट के ऊंचे स्तर पर रहने के कारण आरबीआई की चिंता बढ़ रही है. अक्टूबर में फूड इंफ्लेशन रेट 10.87 फीसदी तक पहुंच गई, जो खुदरा महंगाई दर को पिछले 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर ले गई.

EMI में राहत की उम्मीदें नहीं

मई 2022 में खुदरा महंगाई दर के 7.80 फीसदी पर पहुँचने के बाद आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था. फरवरी 2023 तक यह दर 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दी गई. अगस्त 2024 में महंगाई दर 3.65 फीसदी पर आने से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि आरबीआई रेपो रेट घटा सकता है, जिससे EMI में राहत मिल सकती थी. लेकिन बीते दो महीनों में महंगाई दर में फिर से तेजी आई है, जिससे फिलहाल EMI में राहत मिलने की संभावना खत्म होती नजर आ रही है.

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ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम

SBI रिसर्च के अनुसार, महंगाई दर बढ़ने के बाद फरवरी 2025 में भी आरबीआई द्वारा पॉलिसी रेट्स में कटौती की संभावना बेहद कम है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले भी स्पष्ट किया है कि महंगाई दर के 4 फीसदी के लक्ष्य तक स्थिर रहने के बाद ही ब्याज दरों में कटौती पर विचार किया जाएगा.

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