Chhattisgarh: बजट सत्र का तीसरा दिन रहा हंगामेदार, वन मंत्री बोले- कभी काका तो कभी चाचा के चक्कर में फंसा मामला
Chhattisgarh news: आज छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र का तीसरा दिन भी काफी हंगामेदार रहा. पक्ष-विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर गर्म बहस हुई. सदन में प्रश्नकाल के दौरान राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में डिवाइडर निर्माण का मुद्दा जमकर गूंजा. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने तेलीबांधा में डिवाइडर निर्माण की लागत, टेंडर और अनुमति को लेकर डिप्टी CM और PWD मंत्री अरुण साव से सवाल पूछा. इसके जवाब में डिप्टी CM अरुण साव ने पिछली सरकार में हुए बिना अनुमति डिवाइडर निर्माण की बात को स्वीकार किया है. साथ ही मंत्री ने संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में निर्माण के जांच का भी ऐलान किया. आरोप है कि डिवाइडर निर्माण में नगर निगम और NHAI की जानकारी के बिना कार्य किया गया था. बता दें कि डिवाइडर निर्माण के लिए 2 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया था. अब PWD मंत्री अरुण साव ने इसकी जांच कराने की बात कही है.
नेता प्रतिपक्ष ने वन विभाग से पूछे सवाल
विधानसभा कार्यवाही के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने वन विभाग से जुड़े मुद्दे पर सवाल पूछा. नेता प्रतिपक्ष ने वन मंडल मरवाही में गड़बड़ी और अनियमितताओं में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करने के संबंध में कहा कि मरवाही में हुए गड़बड़ी में शामिल कौन से लोग दोषी हैं, उनपर सरकार क्या कार्यवाही करेगी ये स्पष्ट किया जाए, क्या जिनपर जांच बैठाया गया है वे अभी भी मरवाही में कार्यरत हैं. नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर संबंधित वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि कभी कका तो कभी चचा के चक्कर में यह मामला फंसता गया. 7 मामलों में 35 अधिकारियों पर कार्रवाई किया गया है. अभी भी उनमें से कुछ मरवाही में पदस्थ हैं. इसी मामले में तखतपुर से विधायक धर्मजित सिंह ने कहा यह गंभीर मसला है, मरवाही में रेंजर भी डीएफओ की पद पर बैठे थे. उन्होंने कहा पूछताछ के लिए आपको दुबई भी जाना पड़ेगा. वहां से भी लोग आते थे.
सदन में हसदेव अरण्य का मामला गूंजा
बता दें कि बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में एक बार फिर हसदेव अरण्य का मामला गूंजा है. कांग्रेस विधायकों ने सदन में हसदेव में जंगल की हो रही कटाई का मुद्दा उठाया. विपक्षी विधायकों ने आदिवासियों और जंगली जानवरों की रक्षा के लिए खदानों को रोकने की मांग की है. विधायकों ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को प्रदेश में आदिवासियों के सुरक्षा कवच के रूप में माना जाता है. हसदेव को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच का मामला ना बनाया जाए. जंगलों को बचाया जाना चाहिए, पेड़ों की कटाई को रोका जाना चाहिए. हांथी मानव द्वंद के कारणों की संभावना इससे बढ़ती जा रही है.