Bleeding Eye Virus: आंखों से खून निकालने वाला वायरस, आठ दिन में हो जाती है मौत, अब तक 15 लोगों की गई जान

Bleeding Eye Virus: WHO ने अब तक 17 देशों में मारबर्ग वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया है. जो अभी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है. इस वायरस के कारण लोगों की आंख से पानी की तरह खून निकलता है. जिस कारण इसे ब्लीडिंग आई वायरस भी कहते हैं.
Bleeding Eye Virus

मारबर्ग वायरस से आंखें लाल होती है और खून भी निकलते हैं.

Bleeding Eye Virus: इन दिनों दुनिया में एक खतरनाक वायरस (Virus) ने दस्तक दी है. जिससे अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है. इस वायरस को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) ने भी अपनी चिंता जताई है. WHO ने अब तक 17 देशों में वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया है. जिस वायरस की हम बात बात कर रहे हैं उसका नाम है मारबर्ग. जो अभी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है.

इस खतरनाक वायरस से अफ्रीका के कुछ देशों में दस्तक दी है. जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी अलर्ट हो गया है. रवांडा में इस वायरस के कारण 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अब तक 64 मामले सामने आए हैं. डॉक्टरों के अनुसार, मारबर्ग वायरस के कारण लोगों की आंख से पानी की तरह खून निकलता है. यही कारण है कि इसे ब्लीडिंग आई वायरस (Bleeding Eye Virus) भी कहते हैं. आइए जानते हैं वायरस से जुड़ी जरूरी जानकारी…

मारबर्ग वायरस से जुड़ी बातें

मारबर्ग वायरस के लक्षणों की बात करें तो इससे आंखें लाल होती है और खून भी निकलते हैं. अफ्रीका के कई देशों में मारबर्ग वायरस से होने वाली इस डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीमारी में डेथ रेट 50 से 80 फीसदी है. गंभीर लक्षण होने पर वायरस से संक्रमित मरीज की मौत 8 से 9 दिनों में हो जाती है.

फिलहाल, इस वायरस से संक्रमित 66 में से 15 मरीजों की मौत हो चुकी है. पहले आए मामलों में 24 से 88 फीसदी तक डेथ रेट मिला है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये वायरस कितना खतरनाक है. डॉक्टरों के अनुसार, यह वायरस इबोला वायरस फैमिली से ही जुड़ा हुआ है.

मारबर्ग से संक्रमित होने के बाद पहले मरीज को बुखार आता है. फिर इसके बाद ये वायरस शरीर में फैल जाता है. यह शरीर की इम्यूनिटी पर भी गंभीर असर करता है. इससे शरीर के किसी भी हिस्से में ब्लीडिंग हो जाती है.

यह वायरस संक्रमित राउसेट चमगादड़ों से लोगों में फैलता है. यह वायरस संक्रमित चमगादड़ों की लार, मूत्र और मल में पाया जाता है. एक बार जब यह बीमारी किसी इंसान में फैलती है तो यह कोविड वायरस की तरह एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे में फैलने लगता है.

कोई व्यक्ति मारबर्ग वायरस से संक्रमित तब होता है जब वह इस वायरस से संक्रमित मरीज के नजदीक के संपर्क में आता है. संक्रमित मरीज की लार, खून और उसके यूज की गई चीजों से एक से दूसरे व्यक्ति में यह वायरस चला जाता है.

मारबर्ग वायरस के लक्षण

WHO के मुताबिक इस वायरस की चपेट में आने पर लोगों को तेज बुखार, तेज सिरदर्द, मसल्स में दर्द, उल्टी, गले में खराश, रैशेज और दस्त जैसी इशू होते हैं.
संक्रमित होने पर इंटरनल ब्लीडिंग, ऑर्गन फेलियर भी होता है.
वजन में अचानक गिरावट, नाक, आंख, मुंह से खून बहना और मेंटल कंफ्यूजन जैसी दिक्कतें भी होती हैं.

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ऐसे करें बचाव

अफ्रीकी देशों की यात्रा से बचें.
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं.
फ्लू के लक्षण दिखने पर इलाज कराएं.
घर में साफ- सफाई का ध्यान रखें.

वायरस का इलाज

फिलहाल मारबर्ग वायरस का कोई निर्धारित इलाज नहीं है.
इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है.
केवल लक्षणों के आधार पर मरीज का ट्रीटमेंट किया जाता है.
बीमारी को समय पर कंट्रोल न कर पाएं तो मरीज की जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है.

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