क्यों बार-बार हार रही है कांग्रेस, क्या है फॉर्मूला? दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों से समझिए!
Delhi Election: कांग्रेस पार्टी हारने के बाद ईवीएम पर दोष मढ़ने का पुराना तरीका अपना रही है, बजाय इसके कि वो अपनी हार के असल कारणों पर ध्यान दे. अगर पार्टी हार के असल कारणों को समझने की कोशिश करती, तो वह अगले चुनावों में वही गलतियां नहीं दोहराती. हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच उम्मीदवार तय करने को लेकर बुरी स्थिति थी. वहीं, अब दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां देखी जा रही हैं, तो यह साफ हो गया है कि कांग्रेस वही पुरानी गलती दोहराने वाली है!
दिल्ली न्याय यात्रा- केवल हिमाचल के सीएम को मिली फुरसत!
दिल्ली कांग्रेस ने अपनी खोई हुई पकड़ को वापस पाने के लिए ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ शुरू की थी, लेकिन यह यात्रा अब सुस्त हो गई है. एक महीने पहले शुरू हुई यह यात्रा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. हालांकि, यात्रा के शुरू में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसमें हिस्सा लिया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस यात्रा से गायब हो गए. हालांकि, कुछ दिनों बाद राहुल गांधी के इस यात्रा में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन इस बीच यात्रा की रफ्तार बहुत धीमी हो चुकी है.
कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने यात्रा में शामिल होने के लिए कई कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसदों और दिल्ली-एनसीआर के प्रवक्ताओं को बुलाया था, लेकिन उनकी भागीदारी नगण्य रही है. अब कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि प्रियंका गांधी 9 दिसंबर को धन्यवाद कार्यक्रम में शामिल हो सकती हैं, लेकिन बाकी नेताओं ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की.
केजरीवाल दिल्ली पर ध्यान दे रहे, गांधी परिवार यूपी में!
दिल्ली में आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनावी तैयारी कर रही है. अरविंद केजरीवाल अब राष्ट्रीय नेता बन चुके हैं, दिल्ली की गलियों में व्यस्त हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने दिल्ली में अपनी पार्टी को समर्थन देने के बजाय दूसरे कामों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. यह पार्टी के अंदर गंभीरता की कमी को दिखाता है, जो कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में उसकी हार का कारण बन सकता है.
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कांग्रेस की पुरानी आदत
हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के अंदर गंभीर चर्चा हुई. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हार का जिम्मा राज्य इकाइयों पर डाल दिया. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व हमेशा से चुनावी रणनीतियों और टिकटों के चयन में खुद का दखल देता है, लेकिन हारने के बाद जिम्मेदारी राज्य नेताओं पर डाल दी जाती है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस की कोई ठोस रणनीति नहीं है और हार का ठीकरा हमेशा किसी और पर फोड़ दिया जाता है. कुल मिलाकर, कांग्रेस का चुनावी फॉर्मूला यही दिखता है: समय पर काम न करें, अंतिम दिन तक इंतजार करें, और फिर हार का दोष किसी और पर मढ़ दें. यदि कांग्रेस ने अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं किया, तो आगामी चुनावों में भी वही हाल होगा.