महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार पर फंसा बड़ा पेंच, क्या दिल्ली से ही निकलेगा समाधान? पीएम मोदी से मिले सीएम फडणवीस
Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई दिनों से हलचल मची हुई है. मंत्रिमंडल के विस्तार के सवाल पर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं, और अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली से इस मुद्दे का हल निकलेगा? हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच इस मुद्दे पर एक अहम बैठक हुई थी, लेकिन अभी भी मंत्रिमंडल विस्तार की प्रक्रिया में कई पेच फंसे हुए हैं. हालांकि, इस बीच दिल्ली में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पीएम मोदी से मुलाकात की है.
बैठक में हुआ मंत्रिमंडल के विस्तार पर विचार
मुंबई में हुई बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस, डिप्टी सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार ने मंत्रिमंडल के विस्तार पर चर्चा की. यह बैठक मेघदूत बंगले पर डेढ़ घंटे तक चली, जहां मंत्रियों के बंटवारे और उनके पोर्टफोलियो को लेकर विचार-विमर्श किया गया. सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान कुछ बातें तय हुईं, लेकिन इस मामले में अभी भी कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकल पाया है. इन चर्चाओं के बाद ऐसा माना जा रहा है कि तीनों नेता दिल्ली जा सकते हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर इस विवाद का समाधान ढूंढ सकते हैं. अगर दिल्ली में स्थिति साफ होती है, तो 14 या 15 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है.
शीतकालीन सत्र से पहले विस्तार की संभावना
महायुति के नेताओं का कहना है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. इस बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू होने वाला है, और इससे पहले यह विस्तार हो सकता है. खबरों के अनुसार, शिवसेना के 13 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जिसमें से कुछ मंत्री शिंदे सरकार के भी हो सकते हैं. इनमें गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, दादा भूसी, शंभू राजे देसाई, तानाजी सावंत, दीपक केसरकर, भरतशेठ गोगांव, संजय शिरसाट, प्रताप सरनाईक, अर्जुन खोतकर, विजय शिवतरे, प्रकाश सुर्वे और आशीष जयसवाल जैसे नेताओं के मंत्री बनने की संभावना है.
किसे मिलेगा कितना मंत्री पद?
सूत्रों के अनुसार, सरकार के गठबंधन सहयोगियों के बीच मंत्री पदों का बंटवारा अब अंतिम चरण में है. बीजेपी को 20 मंत्री पद, शिवसेना को 13 और एनसीपी को 10 मंत्री पद मिल सकते हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, और इसके साथ ही शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. तब फडणवीस ने कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार 16 दिसंबर से पहले कर लिया जाएगा. अब यह देखना बाकी है कि यह विस्तार आखिरकार कब और कैसे होता है.
मंत्रिमंडल में कौन मिलेगा कौन सा विभाग?
मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ-साथ यह भी सवाल उठ रहा है कि कौन सा मंत्री किस विभाग को संभालेगा. सूत्रों के अनुसार, देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्रालय अपने पास रख सकते हैं, जबकि वित्त मंत्रालय का जिम्मा अजित पवार को दिया जा सकता है. अजित पवार पहले भी वित्त मंत्री रह चुके हैं और उनके लिए यह मंत्रालय फिर से मिलने की संभावना है. एकनाथ शिंदे को शहरी विकास मंत्रालय मिलना तय माना जा रहा है. शिंदे को डिप्टी सीएम बनने के बाद यह मंत्रालय मिल सकता है, हालांकि शिवसेना ने शुरुआत में गृह विभाग की मांग की थी. लेकिन बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया था कि शिंदे को या तो गृह मंत्रालय मिल सकता है या फिर शहरी विकास मंत्रालय, दोनों में से एक को ही चुनना होगा.
महायुति के सूत्रों का कहना है कि शिवसेना को एक विभाग कम मिला है, जबकि एनसीपी की मांग के अनुसार उसे 10 विभाग मिल गए हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है, क्योंकि उसके पास विधायकों की संख्या अपने सहयोगियों से कहीं अधिक है. बीजेपी के पास 132 विधायक हैं, शिवसेना के पास 57 और एनसीपी के पास 41 विधायक हैं. इस संदर्भ में बीजेपी का दबदबा साफ दिख रहा है, और यह मंत्रिमंडल विस्तार उसके पक्ष में ही होने की संभावना को बढ़ाता है.
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सियासी गणित और भविष्य के समीकरण
मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर सियासी समीकरण काफी जटिल हो गए हैं. फडणवीस सरकार में बीजेपी के पास विधायक संख्या में बढ़त है, लेकिन शिवसेना और एनसीपी भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर दबाव बना रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इस पूरी प्रक्रिया में दिल्ली से कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा? केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप इस मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
मंत्रिमंडल विस्तार का यह मुद्दा केवल सत्ता बंटवारे का मामला नहीं है, बल्कि यह गठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करेगा. महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर दिल्ली में कोई ठोस निर्णय लिया जाता है, तो यह राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है.
अंततः यह कहना मुश्किल है कि मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, लेकिन यह साफ है कि केंद्र और राज्य के नेताओं के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है, और शीघ्र ही इस मामले में कोई न कोई हल निकलेगा.