कब तक टीम इंडिया के गेंदबाजी आक्रमण का बोझ अकेले उठाएंगे Jasprit Bumrah?

एक वक्त था जब भारत के पास श्रीनाथ, कुंबले, हरभजन, जहीर, इरफान पठान, ईशांत शर्मा, आशीष नेहरा और मुनाफ पटेल जैसे एक के बाद एक दिग्गज हुआ करते थे.
japrit bumrah

जसप्रीत बुमराह

Jasprit Bumrah: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तहत तीन टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं. दोनों टीमों ने एक-एक मैच में जीत हासिल की है, जबकि गाबा टेस्ट बारिश के कारण बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गया. इस हाई वोल्टेज सीरीज में भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह छाए रहे हैं. बुमराह अपनी तेज रफ्तार खतरनाक गेंदों से कंगारु टीम पर कहर बनकर टूटे हैं. लेकिन दूसरी तरफ यह भी देखने को मिला है कि उन्हें टीम के दूसरे तेज गेंदबाजों से वह सपोर्ट नहीं है जिसकी दरकार थी.

जसप्रीत बुमराह ने तीन टेस्ट मैचों में अब तक 21 विकेट लिए हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में उतरे जसप्रीत बुमराह ने रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में कप्तानी की जिम्मेदारी भी संभाली थी. इस मैच में उन्होंने एक पंजा के साथ 8 विकेट झटके और मेजबानों को 295 रनों से इस मैच में हार का सामना करना पड़ा था.

ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर बुमराह नजर आए अकेले!

लेकिन एडिलेड के पिंक बॉल टेस्ट में बुमराह को दूसरे गेंदबाजों से सपोर्ट नहीं मिला. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में विकेट लेने की शुरुआत बुमराह ने कर दी थी लेकिन दूसरे झोर से सिराज और नीतीश राना की भटकी हुई गेंदबाजी ने मेजबानों को मैच में वापसी का मौका दे दिया. भारत ने वापसी की कोशिश तो की, लेकिन तब तक ऑस्ट्रेलिया ने डे-नाइट टेस्ट में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी.

गाबा में भी कुछ इसी तरह देखने को मिला. एक तरफ, बुमराह की गेंदों को खेलने में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को परेशानी हो रही थी, लेकिन प्रमुख गेंदबाज सिराज की गेंदों पर मेजबानों ने आसानी से रन बनाए. हाल के दौर में ऐसा कई बार देखने को मिला है कि मैच में बुमराह का प्रदर्शन बहुत शानदार रहा है लेकिन दूसरे छोर से उनको पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया है.

तेज गेंदबाजी में नहीं मिल रहा साथ

बुमराह की गिनती दुनिया के उन खतरनाक गेंदबाजों में होती है जो बल्लेबाजों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होते थे. लेकिन बुमराह एक छोर से दमदार गेंदबाजी करते नजर आते हैं. तो दूसरे छोर से निकलते रनों से टीम की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. अगर जसप्रीत बुमराह को दूसरे छोर से साथ मिले तो कहानी अलग होगी. रवि अश्विन और जडेजा स्पिन पिचों पर कारगर तो रहे हैं लेकिन जब विदेशी जमीन पर टीम खेलती है तो तेज गेंदबाजी में जो धार होनी चाहिए, वह नदारद नजर आ रही है. सिराज की गेंदबाजी में पैनापन न होना और मोहम्मद शमी की फिटनेस से जुड़ी समस्या के कारण बुमराह इस टीम के गेंदबाजी आक्रमण को अपने कंधों पर ढोते नजर आए हैं, जो भारत के लिहाज से चिंता का विषय हो सकता है.

बुमराह को हर मैच में उतारना ‘रिस्की’

दुनिया के दिग्गज गेंदबाजों में शुमार रहे पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर जसप्रीत बुमराह के मुरीद हैं. वह कहते हैं कि बुमराह अपने अलग बॉलिंग एक्शन की वजह से खास हैं और इसका ध्यान बीसीसीआई को रखना चाहिए, उन्हें संभालकर रखना चाहिए. उनका कहना है कि बुमराह को आप हर मैच में उतारेंगे तो वह लंबे समय तक शायद न खेल पाएं.

जाहिर है इस गेंदबाजी एक्शन ने और गेम के प्रति समझ ने बुमराह को आज महान गेंदबाजों की कतार में ला खड़ा किया है, लेकिन बुमराह को दूसरे गेंदबाजों से सहयोग मिले तो उन पर पड़ने वाला बोझ काफी हद तक कम हो सकता है. इस बोझ की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि अकेले कोई भी गेंदबाज हर मैच आपको जीताकर नहीं दे पायेगा.

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इन दिग्गज गेंदबाजों से कांपते थे बल्लेबाज

एक वक्त था जब भारत के पास श्रीनाथ, कुंबले, हरभजन, जहीर, इरफान पठान, ईशांत शर्मा, आशीष नेहरा और मुनाफ पटेल जैसे एक के बाद एक दिग्गज हुआ करते थे. विश्व क्रिकेट में भारत के अलावा अन्य भी ऐसे उदाहरण हैं. पाकिस्तान के पास महान वसीम अकरम के साथ वकार यूनुस और आकिब जावेद हुआ करते थे. फिर इस लाइन अप में शोएब अख्तर की एंट्री हुई. ऑस्ट्रेलिया की वह महान तिकड़ी कौन भूल सकता है. मैकग्रा, गिलेस्पी और ब्रेट ली के साथ स्पिन के जादूगर शेन वॉर्न किसी भी टीम को कहीं भी पटखनी दे देते थे. साउथ अफ्रीका के पास डेल स्टेन, वर्नन फिलेंडर, एल्बी मोर्केल, शॉन पोलाक और जैक्स कालिस के तौर पर तगड़ी गेंदबाजी लाइन अप थी. वेस्ट इंडीज टीम वॉल्श, बिशप और एम्ब्रोस के साथ किसी भी टीम को मात दे सकती थी. इसी तरह इंग्लैंड की तरफ से यह काम लंबे समय तक जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और ग्रेम स्वान ने किया. श्रीलंका के पास मुथैया मुरलीधरन, चामिंडा वास के साथ धर्मसेना होते थे.

कब कम होगा बुमराह का बोझ?

लिहाजा, भारतीय टीम को बुमराह का वर्कलोड कम करने के साथ-साथ दूसरी कतार तैयार करने की जरुरत है जो उनका दूसरे छोर पर साथ दे पाएं. रवि अश्विन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. रविंद्र जडेजा का करियर भी ज्यादा दिनों का नहीं है. लेकिन, मोहम्मद शमी फिटनेस की समस्या से ही जूझते रहे हैं. स्पिन विभाग में भारत के पास कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्ती, वाशिंगटन सुंदर जैसे खिलाड़ी हैं. ऐसे में टीम को इस विभाग में ज्यादा दिक्कत नहीं नजर आ रही है. लेकिन मैनेजमेंट को तेज गेंदबाजों की खेप तैयार करने पर जोर देना पड़ेगा.

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