कौन हैं Pratap Sarangi और Mukesh Rajput जिन्हें संसद में लगी चोट?

गृहमंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं. संसद परिसर में आज बीजेपी और कांग्रेस सांसदों ने प्रदर्शन किया.
Pratap Sarangi and Mukesh Rajput

प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत

Pratap Sarangi: गृहमंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है. संसद परिसर में आज बीजेपी और कांग्रेस सांसदों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान बीजेपी के दो सांसदों प्रताप चंद्र सारंगी और मुकेश राजपूत को चोट लग गई. दोनों सांसदों को आरएमएल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. बीजेपी ने राहुल गांधी पर धक्का देने का आरोप लगाया है. इस मामले को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी है. वहीं राहुल गांधी आरोपों को नकारते हुए कहा कि बीजेपी सांसदों ने धक्कामुक्की की.

चकाचौंध से दूर सादगी से भरपूर जीवन जीते हैं सारंगी

69 साल के प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के बालासोर से सांसद हैं. अपनी सादगी से पहचान बनाने वाले सारंगी का जन्म ओडिशा के बालासोर 4 जनवरी 1955 को हुआ. सारंगी 2004 और 2009 में ओडिशा से विधायक भी रह चुके हैं. साल 2019 में पहली बार लोकसभा पहुंचे सारंगी को प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मंत्री परिषद में भी जगह दी, उन्होंने 2014 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए.

सारंगी अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं, वे बड़ी गाड़ियों में चलने के बजाए साइकिल से चलना पसंद करते हैं. वे अपनी सैलरी और पेंशन से होने वाली अपनी कमाई को सामाजिक कार्यों के लिए दान कर देते हैं. इसके साथ ही उनका लाइफस्टाइल भी बेहद सादा है. जानकारी के मुताबिक उन्हें अकेले रहना काफी पसंद है और वे साधु बनना चाहते थे. कहा जाता है कि इसीलिए उन्होंने शादी भी नहीं की.

यह भी पढ़ें: “राहुल गांधी ने मारा धक्का”, लहूलुहान हुए सांसद Pratap Sarangi का बड़ा आरोप, BJP ने कांग्रेस नेता के खिलाफ दर्ज कराई FIR

कौन हैं मुकेश राजपूत?

मुकेश राजपूत की गिनती उत्तर प्रदेश के बड़े लोधी नेताओं में होती है. वे लगातार तीन बार से लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं. साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को बुरी तरह हराया था. लेकिन 2024 में उन्हें इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी नवल किशोर शाक्य से कड़ी चुनौती मिली थी. इस बार उन्हें सिर्फ 2678 से ही जीत मिली. लोकसभा में आने से पहले वे साल 2000 से 2012 के बीच दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे हैं. इतने लंबे राजनीतिक करियर के बावजूद उन पर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.

ज़रूर पढ़ें