क्या राजनीति में आने के लिए बहुत पैसे की जरूरत है, यह पैसा कहां से आएगा? पॉडकास्ट में जानिए PM Modi ने क्या जवाब दिया

पीएम मोदी ने कहा," मुझे बचपन की एक घटना याद है, मेरे गांव में एक डॉक्टर थे बसंत भाई पटेल. आंखों के अच्छे डॉक्टर थे. हिंदी, गुजराती अच्छी बोलते थे. उन्होंने एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ना तय किया. मुझे मोटा मोटा याद है कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए सभी से एक एक रुपया लिया था.
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पीएम मोदी

PM Modi Podcast: जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ पीएम नरेंद्र मोदी का पॉडकास्ट एपिसोड रिलीज हो चुका है. 8 जनवरी को जब निखिल ने इस एपिसोड का एक टीजर रिलीज किया तभी से लोग सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा कर रहे थे. इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी के बचपन से लेकर राजनीतिक करियर की बातचीत हुई. इस दौरान निखिल ने पीएम से सवाल किया, “क्या राजनीति में आने के लिए बहुत पैसे की जरूरत है और यह कहां से आएगा?”

इस पर पीएम मोदी ने कहा,” मुझे बचपन की एक घटना याद है, मेरे गांव में एक डॉक्टर थे बसंत भाई पटेल. आंखों के अच्छे डॉक्टर थे. हिंदी, गुजराती अच्छी बोलते थे. उन्होंने एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ना तय किया. मुझे मोटा मोटा याद है कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए सभी से एक एक रुपया लिया था. फिर उन्होंने सार्वजनिक सभा में हिसाब दिया था. इतना पैस मिला और इतना खर्च हुआ. वे चुनाव जीत गए थे.”

उन्होंने आगे कहा, “ऐसा नहीं है कि समाज आपका साथ नहीं देगा. आपमें धैर्य और समर्पण चाहिए. ऐसा भाव नहीं होना चाहिए कि मैं इतना करता हूं तो मुझे वो चाहिए. ऐसे आप जीवन में सफल नहीं होते हैं. हमने राजनीति को विधायकों-सांसदों के चुनाव में बांध कर रखा है. हम समाज और जीवन से जुड़े किसी भी कार्य में लग जाएं वो राजनीतिक प्रभाव पैदा करता ही करता है. कोई अगर एक आश्रम भी चलाता है तो वो भले ही चुनाव ना लड़े लेकिन उसके प्रयासों का परिणाम निकलता है.”

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पीएम मोदी ने कहा, “मैं तो कहता हूं कि लोकतंत्र में वोटर भी एक तरह से पॉलिटीशियन है. वो वोट देने से पहले दिमाग लगाता है इसे दूं या ना दूं. जिसे वोट देता है उसके लिए और जिसे नहीं देता है उसके लिए उसके मन में एक भाव पड़ा है.”

उन्होंने कहा, “इसलिए मैं अनुभव करता हूं कि मैं तथाकथित नेताओं की तरह नहीं हूं. चुनाव के समय ही, मुझे यह राजनीतिक भाषण करने पड़ते हैं. मुझे यह अच्छा नहीं लगता है लेकिन यह करना एक मजबूरी है. मेरा पूरा समय चुनाव के सिवाए गवर्नेंस पर होता है. जब मैं सरकार में नहीं था तब संगठन के लिए काम करता था. मैं अपने कार्यकर्ताओं के लिए लगा रहता था.”

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