Mungeli: कुसुम स्पंज आयरन फैक्ट्री ने उगली चार मजदूरों की लाश, क्या प्रशासन को और भी मौतों का इंतजार?

Mungeli: मुंगेली जिले की कुसुम आयरन फैक्ट्री में दो दिन पहले हुए हादसे के कारण चार मजदूरों की जान चली गई. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन को अब भी और मौतों का इंतजार है.
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मुंगेली फैक्ट्री हादसा

Mungeli: बिलासपुर-रायपुर मार्ग स्थित मुंगेली जिले के राम बोड़ में कुसुम स्पंज प्लांट ने शुक्रवार की रात तीन मजदूरों की लाशें उगली है. ये तीनों शव उसी 80 टन साइलो टैंक के नीचे दबे मिले हैं, जहां मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही थी. शव इस हालत में मिले कि परिजन पहचान नहीं पा रहे हैं. किसी का सर तो किसी का पैर अलग है.

परिजनों ने शव लेने से किया इंकार

गुरुवार को कुसुम फैक्ट्री में 80 टन वजनी लोहे का साइलो मजदूरों के ऊपर गिरा था. इस पूरे मामले में परिजन नाराज हैं कि पहले तो 36 घंटे से भी ज्यादा समय बीतने के बाद उन्हें उनके परिजनों का शव सौंपा गया. दूसरा यह की कुसुम प्लांट प्रबंधन ने उन्हें गुमराह किया. यही कारण है कि सरगांव पुलिस ने मामले में प्रबंधन के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है. लेकिन अभी भी मृत्यु की धाराएं नहीं जोड़ी हैं. मृतक मजदूर के परिजन 50 लख रुपए मुआवजे की मांग कर रहे हैं और सरकारी नौकरी के अलावा अन्य सुविधा प्रदान करने की बात सामने आ रही है. साथ ही परिजनों ने मजदूरों का शव लेने से इंकार कर दिया है.

36 घंटे से ज्यादा समय तक जारी रहा रेस्क्यू

विस्तार न्यूज एक बार फिर कुसुम प्लांट में उस जगह पर पहुंचा, जहां पिछले तीन दिन से एक साइलो टैंक को हटाने का अभियान 36 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चलाया गया. इस जगह पर अभी भी मौत के निशान बाकी हैं. टैंक के गिरने के बाद मौके पर 10 फीट गहरा गड्ढा और आसपास लोहे के कई तरह के उपकरण बिखरे पड़े हैं। पुलिस ने इस जगह को चारों तरफ से प्रतिबंधित एरिया घोषित कर दिया है लेकिन उसे लोहे के भारी टैंक के गिरने के बाद आसपास की स्थितियों का जायजा लेना भी जरूरी था जिसके कारण ही यहां पहुंचकर आम लोगों से बात की गई.

प्रशासन की बड़ी लापरवाही

सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि यह एरिया औद्योगिक क्षेत्र जैसा बढ़ता चला जा रहा है. प्लांट संचालन के तमाम नियम टूटते भी नजर आए. आसपास के दर्जनों गांव में औद्योगिक क्षेत्र का पानी किसी नाले के पानी की तरह बह रहा है, जो आम इंसान के जीवन में जहर जैसा काम करेगा. रामबोड, सरगांव, बुदबुदा, कचर बोड जैसे क्षेत्रों में हजारों और लाखों लोगों को इसका दुष्परिणाम झेलना पड़ रहा है.

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सड़क को लेकर समस्या

सबसे बड़ी समस्या यहां सड़क को लेकर है. सड़क सिर्फ नाम की है और इन सड़कों पर पांच-पांच फीट के दोनों तरफ गड्ढे. इनमें भी दिन भर धूल उड़ती है. ग्रामीण कहते हैं उनका जीवन नर्क बन चुका है और ऐसे ही जिंदगी गुजारना मुश्किल हो गया है. हजारों घरों के अंदर धूल घुस रही है और उन्हें बीमार कर रही है. लेकिन ना तो प्रदूषण बोर्ड और न ही जिला प्रशासन इस तरफ ध्यान देने को तैयार है.

कुसुम प्लांट में हुए हादसे के बाद चार लोगों की मौत ने एक बड़ा सवाल इस पर भी खड़ा कर दिया है की क्या अब लोगों की मृत्यु औद्योगिक क्षेत्र में बह रहे जहर बराबर पानी या गड्ढों के कारण हो सकती है.

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जिला प्रशासन ने जिन चार मजदूर की मृत्यु की पुष्टि की है उनमें जबड़ा पारा सरकंडा निवासी साकेत साहू भी शामिल है, जो इंजीनियर था. इसके अलावा अवधेश कश्यप, प्रकाश यादव और मनोज धृत लहरे की भी मौत हुई है.

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