Chhattisgarh: शराब घोटाला मामले में जेल भेजे गए कवासी लखमा, 21 जनवरी तक ED करेगी पूछताछ
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में आज पूर्व मंत्री कवासी लखमा एक बार आज फिर ED दफ्तर थे. 4 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हे 7 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है.
कवासी लखमा गिरफ्तार, ED को 7 दिन की मिली रिमांड
कवासी लखमा को गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल के लिए जिला अस्पताल पंडरी ले जाया गया. जहां पर कोर्ट में पेशी होने से पहले पूर्व मंत्री का मेडिकल जांच कराया गया. जिला अस्पताल से जब कवासी लखमा बाहर निकले तो कार में चढ़ने के दौरान उन्होंने समर्थकों के सामने अपना हाथ हिलाना चाहा, लेकिन पुलिस उन्हें ऐसा करने से रोका और उन्हें कार में बैठा दिया. मेडिकल करने के बाद सीधे कवासी लखमा को रायपुर कोर्ट में ED की विशेष अदालत में पेश किया गया. जहां उन्हे 7 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है. ED 21 जनवरी तक कवासी लखमा से पूछताछ करेगी.
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ED ने 28 दिसंबर को मारा था छापा
बता दें कि ईडी ने शराब घोटाले मामले में पूर्व मंत्री और वर्तमान में कोंटा के विधायक कवासी लखमा के सुकमा स्थित ठिकानों पर तलाशी ली गई थी. इसके अलावा उनके बेटे हरीश कवासी, सुकमा नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू और लखमा के OSD जयंत देवांगन समेत अन्य करीबियों के यहां भी छापा मारा था. 15 घंटे तक चली कार्रवाई में ईडी ने लखमा के ठिकानों से कई दस्तावेज जब्त किए गए थे. जिसका ED ने खुलासा किया था.
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डिजिटल उपकरण समेत कई सबूत हुए थे बरामद
ईडी ने 28 दिसंबर की छापेमार कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था. ED ने एक्स पर किए अपने पोस्ट में बताया कि कवासी लखमा के ठिकानों पर की गई तलाशी अभियान में पीओसी के उपयोग से संबंधित सबूत जुटाने के साथ कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गई है. जिनके आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं. बता दें कि ये पूरा मामला शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है.
जानिए क्या है शराब घोटाला
बता दें कि छत्तीसगढ़ में करीब 2000 करोड़ रुपए काे शरब घोटाला मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा का नाम भी शामिल है. ED ने इस घोटालेम में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को मास्टरमाइंड बताया.
आरोप हैं कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तब प्रदेश में बड़ा शराब घोटाला हुआ. इस बात की जानकारी तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी थी. घोटाला के दौरान कमीशन का एक बड़ा हिस्सा पूर्व मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था.