एक साल बाद प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट में मिलेगा बंपर रिटर्न! भरेंगी 1 करोड़ से ज़्यादा सरकारी कर्मचारियों की जेबें, मोदी सरकार बढ़ाने जा रही सैलरी

आगामी वर्ष में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए ऐसा नहीं की सरकार और वित्तीय संस्थाएँ हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेंगी.
8th pay commission

8वां वेतन आयोग

8th Pay Commission: बाज़ार के विशेषज्ञों के हवाले से इन्वेस्टमेंट करने वालों के लिए एक बड़ी ख़बर है. अगर आपके पास पैसा है तो अभी प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट कर दीजिए. अगले साल बंपर रिटर्न मिलने की कट्टर संभावना है. वो ऐसा इसलिए कि देश के क़रीब 1 करोड़ से ज़्यादा सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ने वाला है. अगर वेतन में इज़ाफ़ा होगा तो इनकी परचेजिंग पावर भी बढ़ेगी. हाथ में माल होगा तो बाज़ार से भी मालामाल होगा. ऐसे में रोज़मर्रा की वस्तुओं के साथ-साथ दूसरी सेवाओं की डिमांड भी बढ़ेगी. ज़ाहिर है जब एरियर जोड़कर पैसा आएगा तो कर्मचारी इन्वेस्टमेंट के लिए भी जागरूक होगा. ऐसे में सबसे ज़्यादा प्रॉपर्टी के धंधे में इसका ख़ास असर देखा जा सकता है. हाँ, वस्तुओं की डिमांड बढ़ने से रोज़मर्रा के रिटेल उत्पादों की क़ीमतें भी कुछ हद तक बढ़ेंगी. जो जनता के लिए एक सिरदर्द भी होगी.

केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की मंज़ूरी दे दी है. दरअसल, वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को वक़्त के हिसाब से इंक्रीज करता रहता है. जिस तरह से प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को इंक्रीमेंट मिलता है, कमोवेश उसी तर्ज़ पर केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी होती है और सरकार इसे आयोग गठित कर तय करती है कि उनकी सैलरी में कितने फ़ीसदी का इज़ाफ़ा किया जाए. अब केंद्र की मोदी सरकार ने 8वें पे-कमीशन को गठित करने के लिए कह दिया है. आयोग की अपनी रिपोर्ट इसी वर्ष देगा और इसकी सिफ़ारिशें 2026 में लागू हो जाएँगी. केंद्र सरकार हर 10 साल में वेतन आयोग (Pay Commission) लाती है. फिलहाल, 7वां वेतन आयोग अभी लागू है और इसका समय 31 दिसंबर, 2025 तक तय है.

कितनी बढ़ेगी सैलरी

वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी में इज़ाफ़ा वेतन मैट्रिक्स 1.92 के फिटमेंट फ़ैक्टर का इस्तेमाल करके करता है. कर्मचारियों की सैलरी के 18 लेवल है. फ़िलहाल, 7वें वेतन आयोग के तहत लेवल-1 कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 1800 रुपए ग्रेड पे के साथ 18,000 रुपए है. अब इसे 8वें वेतन आयोग के तहत बढ़ाकर 34,560 रुपये तक किया जा सकता है. अगर कैबिनेट सचिव रैंक वाले अधिकारियों की बात करें तो ये लेवल-18 के अंतर्गत आज की तारीख़ में 2.5 लाख रुपये की बेसिक सैलरी मिलती है. जानकारी के मुताबिक़ अब यह बढ़कर 4.8 लाख रुपये हो सकती है.

महंगाई के इंडिकेटर

2016 में 7वां वेतन आयोग जब लागू हुआ था, तो उसके बाद बाज़ार में ज़रूरी सामानों की माँग बढ़ी थी. जिसके बाद कंपनियों ने प्रोडक्शन भी बढ़ाए थे. हालाँकि, कोविड के चलते 2 साल तक काम काफ़ी प्रभावित हुआ था. लेकिन, जैसे ही पे-कमीशन लागू हुआ था और कर्मचारियों की जेब में बढ़ी हुई सैलरी मिली, तब सप्लाई से ज़्यादा हबाजार में डिमांड पैदा हो गई. ऐसे में कई महत्वपूर्ण सामानों की क़ीमतें बढ़ गई हैं. वहीं, शहरी क्षेत्रों के मकानों और ज़मीनों की क़ीमतों में भी 8% से 12% की बढ़ोतरी देखी गई थी. इस बाबत सरकारी खर्च में पेंशन और सैलरी मिलाकर 1.02 लाख करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा देखा गया था. राजकोषीय घाटा भी 3.5 फ़ीसदी दर्ज किया गया.

ऐसे में माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू होती हैं तो माहौल पिछले जैसा ही हो सकता है. अगर अनुमान के मुताबिक़ केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इज़ाफ़ा 25-30% के बीच होता है तो बाज़ार में वस्तु और सेवाओं की डिमांड ज़बरदस्त ढंग से बढ़ेंगी. ऐसे में इस माँग को पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर दूसरे क्षेत्रों में कामकाज में तेज़ी देखी जा सकती है. क्योंकि, जब ज़रूरत बढ़ेगी तो उसे पूरा करने के लिए प्रोडक्शन बढ़ाना ज़रूरी हो जाएगा. लेकिन, कुछ वक़्त के लिए शॉर्टेज ज़्यादा रहती है तो फिर महंगाई और ज़्यादा जकड़ लेगी. माँग ज़्यादा होने और आपूर्ति कम होने पर ज़ाहिर है वस्तुओं की क़ीमतें बढ़ेंगी.

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समझदार को इशारा काफ़ी

आगामी वर्ष में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए ऐसा नहीं की सरकार और वित्तीय संस्थाएँ हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेंगी. भारत की तमाम वित्तीय संस्थाएँ इस बात पर ज़्यादा ज़ोर रखेंगी कि माँग और आपूर्ति के क्रम में कोई बाधा न आए और रेट में स्थिरता बनी रही. लेकिन, पहले भी वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के बाद जो हालात बने उससे कई लोग वाक़िफ़ हैं. ऐसे में आप भी समझदार बने और बाज़ार को समझते हुए ख़रीद-बिक्री का फ़ैसला करें.

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