Chhattisgarh: इस किसान ने खोजी धान की 400 से अधिक वैरायटी, जानिए छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी क्यों है धान

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में धान की सियासत की शुरुआत पहले चुनाव यानी साल 2003 से शुरू हुई थी.
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धान और छत्तीसगढ़ की सियासत

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में किसान होम प्रकाश की धान के प्रति समर्पण भावना ने सभी को चौंका दिया है. उन्होंने 20 साल में 426 तरह की धान की वैरायटी संग्रहित की है, जिसे वे न सिर्फ किसानों को बांटते हैं बल्कि उन्हें खेती करने के तौर-तरीके भी सिखाते हैं. पिछले 20 साल में उन्होंने अलग-अलग जगह से अलग-अलग किस्म के धान के सैंपल इकट्ठे किए हैं. वे बिलासपुर कोटा रोड पर गनियारी के पास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चार एकड़ जमीन पर इनकी खेती करते आ रहे हैं.

किसान ने खोजे 400 से अधिक धान की वैरायटी

वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को धान से निकले आयरन युक्त चावल भी बांटते हैं ताकि क्षेत्र में कुपोषण दूर हो सके. यह काम में पिछले 5-6 सालों से करते आ रहे हैं. 56 साल के होम प्रकाश गनियारी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैंपस में रहते हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर सरगुजा, बिलासपुर, समेत दूसरे राज्यों से भी धान का सैंपल एकत्र किया है. धान के इन नमूनों में धनिया धान, राम जीरा, भालू रिच, नागकेशर, बंडू लुचाई समेत अन्य हैं, जिनकी अलग-अलग सीजन में खेती होती है.

धान की वैरायटी का पेटेंट कराने की कोशिश

किसान के धान के प्रति समर्पण को देखकर कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी भी हैरान हैं. उन्होंने होम प्रकाश से धान की वैरायटी को दिल्ली में पेटेंट कराने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन किसान ने कृषि विज्ञान केंद्र का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया. उनका कहना है कि उन्होंने बड़ी मेहनत से इसे इकट्ठा किया है, जिसके कारण वह किसी सरकारी एजेंसी को इसे देने तैयार नहीं है.

धान की सियासत से बनती-बिगड़ती सरकारें

छत्तीसगढ़ में धान की सियासत की शुरुआत पहले चुनाव यानी साल 2003 से शुरू हुई थी. विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने धान के लिए बोनस देने का वादा किया और कांग्रेस ने इस पर ध्यान नहीं दिया. भाजपा की सरकार बनी और किसानों को 270 रुपए का बोनस बांटा गया था. इसके बाद राज्य में साल 2013 और 2018 में भी किसानों ने धान के बोनस के आधार पर ही सरकार तय की थी. इस मामले में साल 2018 का चुनाव सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रहा, जिसमें कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी और 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदने का वादा किया था. इसके बाद उनकी सरकार बनी.

दूसरे राज्य में होती है सुगंधित धान की सप्लाई

छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है. यहां से बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों में चावल की सप्लाई भी होती है. एफसीआई के माध्यम से धान दूसरे राज्यों तक पहुंचाया जाता है. धान की खेती के मामले में छत्तीसगढ़ का स्थान आठवां है, जबकि पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है. साल 2000 के बाद के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल किसानों की संख्या बढ रही है. साल 2000 में ही सिर्फ 4.63 लाख टन खरीदी की थी लेकिन अब सरकार 130 लाख टन से ज्यादा धान खरीदी का लक्ष्य है.

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