Chhattisgarh: धान का गोदाम बनाने मंजूरी मिली 8.17 करोड़ की, मंडी बोर्ड ने ठेकेदारों को सौंप दिया 9.67 करोड़ का काम

Chhattisgarh: सहकारिता विभाग मंत्रालय ने 8 जुलाई को गोदाम और सह कार्यालय निर्माण के लिए वित्तीय मंजूरी दी है.
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धान वेयरहाउस

Chhattisgarh: बिलासपुर जिले के छत्तीसगढ़ राज्य विपणन यानी मंडी बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही के चलते 32 समितियों में बनने वाला धान का गोदाम टेंडर की गड़बड़ी में उलझकर रह गया है. सरकार ने इस काम के लिए कुल 8.17 करोड़ की राशि मंजूर की है. जबकि अधिकारियों ने रायपुर के ठेकेदार को अधिक एसओआर में इसका ठेका 9.67 करोड़ में दे दिया है. यही वजह है कि इसकी अंतर राशि 1.49 करोड़ बढ़ गई और अब अंतर राशि की मांग के लिए ऊपर से नीचे तक के अधिकारी मारामारी कर रहे हैं. कृषि विपणन बोर्ड के कार्यपालन अभियंता ने बड़े अधिकारियों से अंतर राशि की मांग की है. इसके कारण फिलहाल कई जगह गोदाम के निर्माण भी अधूरे पड़े हैं.

19.98 प्रतिशत की राशि बढ़ाकर जारी हुआ टेंडर

दरअसल जिले की समितियों में सरकार धान के लिए गोदामों को तैयार करवाना चाह रही है ताकि बारिश और दूसरे मौसम के चलते किसानों की मेहनत यानी धान ओपन गोदामों में सड़कर खराब नहीं हो. पिछले कई सालों से सहकारी समितियों के इन ओपन गोदामों में धान सड़कर खराब हो रहा है और इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. इसकी रिपोर्ट लगातार तैयार हो रही है. इसके कारण ही इन समितियों में गोदाम बनाने की मंजूरी पर सरकारी ने मुहर लागई है.

बिलासपुर जिले की कुल 32 सहकारी समितियों में गोदाम के साथ दफ्तर बनाने की मंंजूरी मिली है. शासन ने इसके लिए 8.17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिया है, लेकिन अब मामला टेंडर में जा फंसा है. बड़ी बात ये है कि जिले में इन समितियों का टेंडर रायपुर स्तर से किया गया है, जिसमें मेसर्स रायपुर कंस्ट्रक्शन को इसके निर्माण का जिम्मा सौंपी गयी है. हैरानी की बात ये कि गोदाम के निर्माण के लिए ठेका को 19.98 प्रतिशत की राशी एसओर में बढ़ाकर दिया गया है, इसके कारण टेंडर की राशि 1 करोड़ 49 लाख रुपए बढ़ गई है और अब इन पैसों के लिए अधिकारी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं.

प्रति गोदाम 25.56 लाख कीमत

बिलासपुर जिले में जिन समितियों को गोदाम निर्माण की मंजूरी मिली है. उनमें टेकर, करमा, सेलर, वेदपरसदा, एमरसाही, दर्रीघाट, विद्याडीह, जैतपुरी, कुकुरदीकला, भटचौरा, कौड़िया, निरतू, पासीद, कड़ार, गनचुई, मुरकुटा, पौंसरी, केंदा, नवागांव, कुरेली, पोड़ी, पंचबहरा, देवरी, मोछ, ढनढन, करनाकापा, देवतरा, टाडा, विजयपुर, पाली सरवानी शामिल हैं. यहां हर जगह 25.56 लाख रुपए में इन गोदामों के निर्माण की तकनीकी स्वीकृति मिली है. इसके हिसाब से कुल राशि 8.17 करोड़ रुपए ही हो रहा है.

मंडी बोर्ड ने एकाएक बढ़ाई लागत

सहकारिता विभाग मंत्रालय ने 8 जुलाई को गोदाम और सह कार्यालय निर्माण के लिए वित्तीय मंजूरी दी है. इसमें नक्शा, स्टैंडर्ड स्टीमेट निर्माण स्थल की सूची सब शामिल है. छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन बोर्ड यानी मंडी बोर्ड को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन फिलहाल इसका मामला टेंडर में उलझकर रह गया है. मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने आखिर ऐसा क्यों किया है, इसका जवाब ठीक तरह से अधिकारियों के पास भी नहीं है.

1 करोड़ 49 लाख की स्वीकृति के लिए 26 जून को पत्राचार

बता दें कि मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने 27 जून को अंतर की राशि के पैसों के लिए बिलासपुर के प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा रायपुर से अधिकारियों को पत्र लिखा है. मंडी बोर्ड के कार्यपालन अभियंता ने इस अंतर राशि की मांग की है, जो फिलहाल उन्हें नहीं मिली है. चर्चा है कि ठेकेदार बड़े स्तर का है, जिसकी मंडी बोर्ड के अधिकारियों के साथ तगड़ी सांठगांठ है, यही वजह है कि उसके पैसे बढ़ाने यह पूरा खेल जारी है.

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