Bilaspur: स्वास्थ्य विभाग का दफ्तर ‘कबाड़खाने’ में तब्दील! गंदगी का अंबार लगा, 70 लाख का बजट भी लैप्स
स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर में खड़ी हुई गाड़ी कंडम हो गई.
Bilaspur: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्वास्थ्य विभाग का दफ्तर कबाड़खाने के रूप में तब्दील हो गया है. यहां चल रहे अलग-अलग डिपार्टमेंट में गंदगी, धूल और बरसों पुरानी फाइलों का ढेर दिख रहा है. इसके अलावा दफ्तर कैंपस में मौजूद 70 से अधिक एंबुलेंस और सरकारी गाड़ियों को कबाड़ियों के हवाले कर दिया गया है. जो दफ्तर के भीतर ही इसे काटने का काम कर रहे हैं. यही वजह है कि पूरा दफ्तर कबाड़खाना जैसा दिख रहा है.
दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने कैंपस में उत्तर प्रदेश की एक कंपनी को कबाड़ काटने और इसे सुरक्षित उत्तर प्रदेश ले जाने का जिम्मा कबाड़ियों को सौंप दिया है. जिसके कारण यहां 70 जीवन रक्षक गाड़ियों का 19 लाख रुपए में सौदा किया गया है. ये वही गाड़ियां है जिसे सांसद, विधायक और सरकार ने अलग-अलग मदों से मरीज को सुरक्षित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचने के लिए स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराया था. इसे ही कबाड़ियों ने रातों-रात काटना शुरु कर दिया है.
कैंपस में ज्वाइंट डायरेक्टर का भी ऑफिस है
स्वास्थ्य विभाग के कैंपस में सरकारी गाड़ियों को जिस तरह कबाड़ी काट रहे हैं, वह लोगों को परेशान कर रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसी कैंपस में जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के अलावा स्वास्थ्य डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर का भी बड़ा दफ्तर है. यहां से ही पूरे जिले भर में स्वास्थ्य विभाग की सरकारी योजनाओं के तहत उन बीमारियों की निगरानी की जाती है, जिन्हें सरकार ने अपने कार्यक्रम का हिस्सा बनाया है.
दफ्तर में कहीं दीवार का प्लास्टर उखड़ रहा है, तो कहीं शेड गिर रहा है. फाइलों का ढेर और गंदगी ने यहां के कर्मचारी और आने वाले लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. गर्मी में लू लगने से लेकर पीलिया, डायरिया, हैजा और अन्य संक्रामक बीमारियों की निगरानी करने वाली सीएसआईडीसी का डिपार्टमेंट भी यही मौजूद है. यहां भी आसपास गंदगी पसरी हुई है. कुल मिलाकर यह आलम पिछले 5 सालों से बना है और इसी जगह काम करना यहां के कर्मचारियों की मजबूरी बन गई है.
ऑफिस में वैक्सीन और दवाओं का भंडार है
जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के इस दफ्तर में सरकारी वैक्सीन रखी है. इसके अलावा दवाएं और भंडार के गोदाम मौजूद हैं. इसके बावजूद गंदगी का यह अंबार सरकार की स्वच्छ भारत अभियान योजना को मुंह चिढ़ाने जैसा है. इसके अलावा भी अन्य तरह की दिक्कतें मौजूद हैं, जिसे विस्तार न्यूज़ ने पड़ताल कर बताया है.
‘रिपेयरिंग करवा लेते तो एंबुलेंस की कमी ना होती’
स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी एंबुलेंस और यहां मौजूद दूसरी गाड़ियों को कबाड़ियों को काटने और बेचने का टेंडर दिया है. अधिकारियों के मुताबिक ये गाड़ियां कंडम हो चुकीं थी. लेकिन जानकार बताते हैं इसकी स्थितियां ठीक थी. यदि इसे ठीक-ठाक मैकेनिक से रिपेयर करवा लेते तो बिलासपुर जिले में एंबुलेंस की कमी नहीं होती. नई एंबुलेंस खरीदने की होड़ और पुराने को किनारे रखना की प्रवृत्ति ने 70 से ज्यादा एंबुलेंस को बतौर टेंडर 19 लाख रुपए में कबाड़ियों के हवाले कर दिया है.
जेनेरिक दवाओं की कमी हुई
विस्तार न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवा के अलावा जेनेरिक मेडिसिन की कमी बनी हुई है. जिनकी डिमांड लगातार स्वास्थ्य विभाग से की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नाम नहीं चलाने की शर्त पर बताते हैं कि इस साल स्वास्थ्य विभाग में दवाई, साधन और संसाधन के लिए आया 70 लाख रुपये का बजट लैप्स हो चुका है. स्लम बस्तियों और लोगों की दिक्कतों के लिए चलने वाले मेडिकल मोबाइल यूनिट में जेनेरिक दवा की कमी हो गई है, जिनकी डिमांड भी जिले के स्वास्थ्य विभाग से की गई है लेकिन अभी तक यह उपलब्ध नहीं करवाया गया है.