नक्सल ऑपरेशन में शहीद हुआ 228 बटालियन का हिस्सा ‘K9 रोलो’, कई अभियानों में निभाई थी बड़ी भूमिका

Bijapur: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में चले एंटी नक्सल ऑपरेशन में CRPF 228 बटालियन का हिस्सा रहे डॉग 'रोलो' की मौत हो गई है. रोलो पर करीब 200 मधुमक्खियों ने हमला किया था. CRPF जवानों ने रोलो को पूरे सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी.
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रोलो की अंतिम विदाई

Bijapur: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान CRPF के K-9 रोलो की दुखद मौत हो गई. बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल की यह डॉग मधुमक्खियों के हमले का शिकार बना था. रोलो को छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए तैनात किया गया था. वह विस्फोटकों का पता लगाने और गश्त करने में माहिर था. शुक्रवार को CRPF के जवानों ने उसे पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी और मरणोपरांत कमेंडेशन डिस्क से सम्मानित करने का फैसला किया.

शहीद हुआ 228 बटालियन का हिस्सा ‘K9 रोलो’

CRPF के जवान और छत्तीसगढ़ पुलिस बीजापुर जिला स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चला रही थी. 21 दिनों के इस ऑपरेशन के बाद जब CRPF और पुलिस की टीम लौट रही थी, तब मधुमक्खियों के एक विशाल झुंड ने हमला कर दिया. जवानों ने K-9 रोलो को बचाने के लिए उसे पॉलीथिन शीट से ढ़कने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास नाकाम रहा. कई मधुमक्खियां शीट के अंदर घुस गईं और रोलो को डंक मारने लगीं. तेज दर्द और जलन से रोलो बेकाबू हो गया और शीट से बाहर निकल आया. बाहर निकलते ही और मधुमक्खियों ने उसे डंक मारे, जिससे वह बेहोश हो गया. जवानों के अनुसार, रोलो को करीब 200 मधुमक्खियों ने डंक मारे थे.

वफादार सिपाही था K-9 रोलो

जवानों ने मौके पर ही रोलो को प्राथमिक उपचार देने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन ज्यादा दर्द के कारण रोलो ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. पशु चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया.

K-9 रोलो का जन्म 5 अप्रैल 2023 को DBTS में हुआ था. यहीं उसे बैच क्रमांक 80 के तहत इन्फेंट्री पेट्रोलिंग, विस्फोटक खोज और आक्रमण (Assault) का प्रशिक्षण दिया गया था. अप्रैल 2024 में उसे CRPF की 228वीं बटालियन में नक्सल विरोधी ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था.

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रोलो ने कई नक्सल विरोधी अभियानों में विस्फोटकों और IED का पता लगाकर CRPF की मदद की थी. नक्सलियों के ठिकानों और विस्फोटक सामग्री को खोजने में उसका योगदान अहम रहा. उसकी शहादत को सम्मान देने के लिए CRPF ने उसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

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