उत्तराखंड सरकार का ऐतिहासिक फैसला, सिलेबस में शामिल होगा ‘Operation Sindoor’, मदरसों में भी होगी पढ़ाई

Operation Sindoor: उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के मदरसों के पाठ्यक्रम में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शामिल करने की घोषणा की है.
Pushkar Singh Dhami

सीएम पुष्कर सिंह धामी (फोटो- सोशल मीडिया)

Operation Sindoor: उत्तराखंड सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य के सिलेबस में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शामिल करने का निर्णय लिया है. ये सिलेबस उत्तराखंड के मदरसों में भी शामिल होगा. मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी और वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने 20 मई को इसकी घोषणा की. इस फैसले के तहत, राज्य के 451 पंजीकृत मदरसों में पढ़ने वाले लगभग 50,000 छात्र अब भारतीय सेना के इस साहसिक ऑपरेशन की वीर गाथा पढ़ेंगे.

ऑपरेशन सिंदूर पर होगा एक पूरा चैप्टर

जानकारी के मुताबिक, नए सिलेबस में ऑपरेशन सिंदूर का एक विशेष चैप्टर शामिल किया जाएगा, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई और सेना के पराक्रम को दर्शाएगा.

ऑपरेशन सिंदूर, जो 6-7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था. भारतीय सेना की एक साहसिक कार्रवाई थी. इस ऑपरेशन में सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और महज 23 मिनट में पाकिस्तान के हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. इसकी सफलता ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया, बल्कि देश में राष्ट्रवाद की भावना को भी बढ़ावा दिया.

मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा- ‘हम चाहते हैं कि मदरसों के बच्चे भारतीय सेना के इस ऐतिहासिक ऑपरेशन और उनके साहस के बारे में जानें. यह उन्हें देशभक्ति और सेना के बलिदान की भावना से जोड़ेगा.’ वहीं, शादाब शम्स ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ सेना के अन्य साहसिक अभियानों को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना है, ताकि छात्रों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जागृत हो.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को ‘नए भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा- ‘यह कदम युवाओं को हमारी सेना के शौर्य और देश के प्रति उनके समर्पण से प्रेरित करेगा.’ यह निर्णय उत्तराखंड सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनमें पहले अवैध मजारों को हटाने और 171 मदरसों को सील करने जैसे कदम शामिल हैं.

हालांकि, इस फैसले पर कुछ विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि मदरसों के पाठ्यक्रम में सैन्य अभियानों को शामिल करना धार्मिक शिक्षा के मूल उद्देश्य से भटकाव पैदा कर सकता है. लेकिन सरकार और मदरसा बोर्ड का मानना है कि यह कदम छात्रों को राष्ट्रीय एकता और देश की सुरक्षा के प्रति जागरूक करेगा.

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यह पहल न केवल उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सेना के पराक्रम से अवगत कराएगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि युवा पीढ़ी आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत नीति को समझे. इस कदम से उत्तराखंड एक बार फिर चर्चा में है, और यह फैसला देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है.

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